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Tokyo Paralympics: गोल्ड मेडल से बस एक जीत दूर खड़ी टेबल टेनिस खिलाड़ी भाविना पटेल ने कहा- मैं खुद को दिव्यांग नहीं मानती

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टोक्यो पैरांलपिक 2020 खेलों के फाइनल में पहुंचने वाली भारत की पहली टेबल टेनिस खिलाड़ी भाविनाबेन पटेल ने शनिवार को कहा कि वह खुद को दिव्यांग नहीं मानती और टोक्यो खेलों में उनके प्रदर्शन ने साबित कर दिया कि कुछ भी असंभव नहीं है। भाविना पटेल ने टेबल टेनिस इवेंट में इतिहास रच दिया है। भारत की टेबल टेनिस खिलाड़ी भाविना ने टोक्यो पैरालंपिक खेलों के महिला सिंगल्स के क्लास-4 के फाइनल में जगह बना ली है। उन्होंने सेमीफाइनल में चीन की मियाओ झांग को 3-2 (7-11, 11-7, 11-4, 9-11, 11-8) से हराया। 

12 साल की उम्र में पोलियो की शिकार हुई पटेल ने कहा, ‘ मैं खुद को दिव्यांग नहीं मानती। मुझे हमेशा से यकीन था कि मैं कुछ भी कर सकती हूं और मैने साबित कर दिया कि हम किसी से कम नहीं है और पैरा टेबल टेनिस भी दूसरे खेलों से पीछे नहीं है। मैंने चीन के खिलाफ खेला है और यह हमेशा कहा जाता है कि चीन को हराना आसान नहीं होता है। मैंने आज साबित कर दिया कि कुछ भी असंभव नहीं है। हम कुछ भी कर सकते हैं।’ 

पटेल ने कहा कि खेल के मानसिक पहलू पर फोकस करने से उन्हें मैच के दौरान मदद मिली।उन्होंने कहा, ‘ मेरा दिन सुबह चार बजे शुरू हो जाता है और मैं ध्यान तथा योग के जरिए मानसिक एकाग्रता लाने का प्रयास करती हूं। मैचों के दौरान कई बार हम जल्दबाजी में गलतियां करते हैं और अंक गंवा देते हैं लेकिन मैने अपने विचारों पर नियंत्रण रखा। मैं अपने कोचों को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने मुझे तकनीक सिखाई। उनकी वजह से ही मैं यहां तक पहुंच सकी। साथ ही भारतीय खेल प्राधिकरण, टॉप्स, पीसीआई, सरकार, ओजीक्यू, नेत्रहीन जन संघ, मेरे परिवार को भी मै धन्यवाद देती हूं।’

भविना अब बस गोल्ड मेडल जीतने से एक मात्र एक जीत दूर हैं। फाइनल में अब भविना का सामना चीन की ही एक और खिलाड़ी और वर्ल्ड-1 झोउ यिंग से होगा। फाइनल 29 अगस्त को सुबह 7:15 बजे से होगा। भविना इससे पहले, झांग के खिलाफ 11 मुकाबलों में भिड़ी थी, लेकिन वह अभी जीत दर्ज नहीं कर सकी थी। हालांकि आज उन्होंने पिछली सभी हार का बदला ले लिया। 

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