बिहार—
पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विपक्षी दलों के नेताओं के साथ जातीय जनगणना पर बातचीत के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कर मिलने के लिए समय देने का आग्रह किया था। पीएमओ की ओर से मिलने के लिए भेजे गये पत्र का उत्तर प्राप्त होने में देरी के चलते कुछ मायूसी सी छा गई थी। जदयू और विपक्षी दलों की ओर से कई तरह के बयान आने लगे थे। बात यहां तक चल पड़ी थी कि यदि केन्द्र सरकार जातीय जनगणना कराने पर राजी नहीं होती है तो बिहार सरकार अपने स्तर से इस कार्य को कराये। उधर बीजेपी की ओर से यह बयान आने लगा था कि केन्द्र सरकार जातीय जनगणना कराने पर राजी नहीं होगी।
अभी यह रस्साकसी चल ही रही थी कि पीएमओ ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र का उत्तर देते हुए प्रधानमंत्री से मिलने के लिए समय देने की बात बताई। स्वंय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी देते हुए बताया कि दिनांक 23 अगस्त को दिन के 11 बजे प्रधानमंत्री से मिलने का समय मिला है। मुख्यमंत्री ने इसके लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद भी ज्ञापित किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जाति आधारित जनगणना करने के लिए प्रतिनिधि मण्डल के साथ हमलोग मिलने जायेंगे। प्रतिनिधिमंडल में मुख्यमंत्री के साथ विपक्ष के नेतागण भी जायेंगे। इधर बीजेपी के नेता भी मुख्यमंत्री के साथ जाने के लिए नाम को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं।
नाम फाइनल होने पर वे लोग भी साथ जायेंगे।
बताया जाता है कि बिहार विधानसभा से दो बार जातीय जनगणना का प्रस्ताव पारित किया जा चुका है। प्रस्ताव में सर्वसम्मति से मांग की गई थी कि 2021 में होनेवाली जनगणना में जातीय आंकड़े दिये जायें। सबसे पहले 2019 में तथा फिर बीते साल में यह प्रस्ताव पारित किया गया था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि हर तबके के विकास के लिए यह आवश्यक है कि जातीय आंकड़े को जनगणना में शामिल किया जाये।
इसी को आधार बनाकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रधानमंत्री से मिलकर जातीय जनगणना की बात को अपने तर्कों के साथ रखेंगे। देखना होगा कि प्रधानमंत्री उनलोगों के तर्कों से कितना प्रभावित होते हैं।
जे.पी.श्रीवास्तव,
ब्यूरो चीफ, बिहार।
