बन्दरो के आंतक से ग्रामीण परेशान
किसानों ने बन्दरो के आतंक से सब्जी की खेती करना बन्द कर दिया
बन्दरो के आंतक से बर्बाद हुआ गेहूं का फसल
बरगदवां।(दिनेश गिरि)
गांव में लंबे समय से उत्पात मचा रहे बंदरों की वजह से ग्रामीणों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बंदर घरों की छतों पर रखे कपड़े और अन्य सामान को उठाकर ले जाते है या उन्हें फाड़कर व तोड़-फोड़ कर बर्बाद कर देते है। कई बंदर इतने ज्यादा हमलावर है कि वह लोगों को काटकर घायल भी कर देते है।
जहां बंदरों का आतंक दिनों-दिन बढ़ता ही जा रहा है। जिससे लोग घरों की छतों पर जाने से भी कतराने लगे है। लोग बंदरों के उत्पात और उनके द्वारा की जा रही तोड़फोड़ से भी भारी परेशान है। जिसकी शिकायत भी वह वन विभाग के अधिकारियों से कई वार कर चुके है। लेकिन जिम्मेदारों के द्वारा बंदरों को पकड़कर उन्हे जंगल में छोड़े जाने की दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
गेहूं,सरसों,आलू,व फल व सब्जियों की खेती को भारी नुक़सान पहुंचा रहे हैं।
उत्पाती बंदर न सिर्फ लोगों के घरों पर धमाचौकड़ी करके उन्हे परेशान कर रहे है। बल्कि उनकी खेतो में लगे फल-सब्जियों व गेहूं सरसों को तोड़-मरोड़कर उन्हे भारी नुकसान पहुंचा रहे है। कई लोग दिन-रात खेती की रखवाली कर रहे है। लेकिन यह बंदर उनकी आंखों के सामने खेत मे लगी सब्जी-फलों को उजाड़कर बर्बाद कर देते हैं और वह डर के मारे कुछ कर भी नहीं पा रहे हैं। जिससे उन्हे परेशानी के अलावा आर्थिक क्षति भी उठानी पड़ रही है। ग्रामीण रामबृक्ष, बालगोविंद , श्रीनिवास, अर्जुन , गुड्डू आदि किसानों का कहना है कि हम लोग सब्जियों की खेती करना बंद कर दिया है जब से गांव में बन्दरो का झुंड आया है।वन विभाग के आला अधिकारियों से मांग की है कि बंदरों को पकड़कर जल्द से जल्द जंगल में छोड़ा जाए। ताकि उन्हे इस तरह की परेशानियों से निजात मिल सके।