भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने टोक्यो ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है। भारतीय टीम ने जर्मनी के खिलाफ खेले गए रोमांचक मुकाबले में 5-4 से जीत दर्ज करते हुए ओलंपिक में 41 साल बाद कोई मेडल अपने नाम किया। टीम की इस जीत में अनुभवी गोलकीपर पीआर श्रीजेश का अहम योगदान रहा। जीत के बाद भारतीय खिलाड़ी जहां रोते हुए एक दूसरे को गले लगा रहे थे, तो वहीं श्रीजेश गोलपोस्ट पर बैठ जा बैठे। श्रीजेश ने इंडिया टूडे से बातचीत में कहा कि वह इस ऐतिहासिक जीत का जश्न मनाने के लिए ही इस गोलपोस्ट पर बैठे हैं। उन्होंने कहा कि वह इस सम्मान के हकदार हैं।
भारतीय हॉकी टीम के दीवार श्रीजेश ने कहा, ‘ यही मेरी जगह है। यहीं पर मैंने अपना पूरा जीवन बिताया। मैं आप सबको यह बताना चाहता हूं कि अब मैं इस पोस्ट का मालिक हूं। मैंने सिर्फ इसलिए इस तरह से जश्न मनाया क्योंकि मैं बहुत निराश, दुख था। मैं और मेरी पोस्ट इसे एक साथ साझा करते हैं। पोस्ट कुछ सम्मान के भी पात्र हैं।’
जर्मनी को मैच में 13 पेनल्टी कॉर्नर मिले और श्रीजेश ने उनमें से केवल में गोल होने दिया। पिछले 21 साल से इस दिन का इंतजार कर रहे 35 वर्ष के श्रीजेश के लिए शायद यह पदक जीतने का आखिरी मौका था। उन्होंने हूटर से छह सेकंड पहले ही पेनल्टी रोककर भारत की जीत तय की। श्रीजेश ने कहा, ‘ मैं आज हर बात के लिए तैयार था क्योंकि यह 60 मिनट सबसे महत्वपूर्ण थे। मैं 21 साल से हॉकी खेल रहा हूं और मैंने खुद से इतना ही कहा कि 21 साल का अनुभव इस 60 मिनट में दिखा दो। यह पुनर्जन्म है। 41 साल हो गए। आखिरी पदक 1980 में मिला था। उसके बाद कुछ नहीं। आज हमने पदक जीत लिया जिससे युवा खिलाड़ियों को हॉकी खेलने की प्रेरणा और ऊर्जा मिलेगी। यह खूबसूरत खेल है । हमने युवाओं को हॉकी खेलने का एक कारण दिया है।’
आखिरी पेनल्टी के बारे में उन्होंने कहा, ‘मैने खुद से इतना ही कहा कि तुम 21 साल से खेल रहे हो और अभी तुम्हे यही करना है। एक पेनल्टी बचानी है। मेरी प्राथमिकता गोल होने से रोकना है। इसके बाद दूसरा काम सीनियर खिलाड़ी होने के नाते टीम का हौसला बढ़ाना है। मुझे लगता है कि मैंने अपना काम अच्छे से किया। मैंने सिर्फ उन्हें फोन किया क्योंकि मेरे यहां तक पहुंचने का कारण वही हैं। मैं उन्हें बताना चाहता था कि हमने पदक जीत लिया है और मेरा पदक उनके लिए है।’
ब्रॉन्ज मेडल वाले मुकाबले में दो गोल करने वाले सिमरनजीत सिंह ने कहा, ‘ यह मेरा सपना था और अब मैं इसे कभी नहीं भूल सकूंगा। मैं ये गोल करने के सपने देखता आया था जो आज सच हो गए। हमने पदक जीतकर 130 करोड़ भारतीयों को गर्व करने का मौका दिया। यह कभी नहीं भूलने वाला अनुभव है। हम आगे भी इस लय को जारी रखने की कोशिश करेंगे।’