Search
Close this search box.

‘पत्नी और बेटी की तस्वीरें नष्ट कर दी’, अमरुल्लाह सालेह ने बताया काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद क्या हुआ..

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

अफगानिस्तान में अभी तालिबान के खिलाफ पंजशीर विद्रोहियों का नेतृत्व कर रहे अमरुल्लाह सालेह ने बताया कि किस तरह उन्होंने काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद अपनी पत्नी और बेटी की तस्वीरों को नष्ट कर दिया। 15 अगस्त को काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद अमरुल्लाह सालेह कह चुके है कि वो तालिबान के सामने सरेंडर नहीं करेंगे। अब ‘Daily Mail’ के लिए लिखे एक आलेख में पूर्व उपराष्ट्रपति ने बताया है कि काबुल पर तालिबान के हमले के बाद क्या-क्या हुआ। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के निर्णयों की भी निंदा की है। इतना ही नहीं पूर्व उपराष्ट्रपति ने साफ-साफ कहा है कि अफगानिस्तान की ऐसी हालत के पीछे किसी और का नहीं बल्कि पाकिस्तान का हाथ है।

उन्होंने बताया है कि वो कभी भी तालिबान के आगे घुटने नहीं टेकेंगे। उन्होंने अपने सुरक्षा गार्ड को भी कह रखा था कि अगर वो घायल हो गए तो वो उनके सिर में गोली मार दे। अमरुल्लाह सालेह ने यह बात ऐसे समय में कही है जब हाल ही में तालिबान ने दावा किया था कि उसने पंजशीर प्रक्षेत्र पर कब्जा जमा लिया है। तालिबान ने दावा किया था कि यहां के स्थानीय लोग वहां से भाग रहे हैं और तालिबान शासित अन्य प्रक्षेत्रों में जा रहे हैं। हालांकि, तालिबान विद्रोही गुट ने इन बातों का खंडन किया था। 

पूर्व उपराष्ट्रपति ने लिखा कि तालिबान को पाकिस्तानी एंबेंसी की तरफ से निर्देश मिल रहे थे। तालिबान के प्रवक्ता को हर घंटे निर्देश मिल रहे थे। पश्चिमी देशों ने अफगानिस्तान के साथ प्रचंड विश्वासघात किया। उनको पता है कि काबुल की सड़कों पर अब अलकायदा आ चुका है। उनको यह भी पता है कि तालिबान का ऱिफॉर्म नहीं हुआ है। अमरुल्लाह सालेह ने बताया कि जिस दिन काबुल पर कब्जा किया गया उससे पहले वाली रात जेल में तालिबानी कैदियों ने भागने की कोशिश की थी। तब उपराष्ट्रपति को इसकी जानकारी दी गई थी।

उन्होंने गैर-तालिबानी कैदियों से संपर्क करने की कोशिश की थी और इसके बाद विद्रोह हुआ था। अगले ही दिन अमरुल्लाह सालेह सुबह 8 बजे उस वक्त उठे जब उनके परिवार के सदस्य और उनके दोस्त उन्हें फोन कर रहे थे। वो लिखते हैं कि उन्होंने रक्षा मंत्री और गृहमंत्री से संपर्क करने की कोशिश की थी लेकिन संपर्क नहीं हो सका था। काबुल के पुलिस मुखिया ने उन्हें बताया था कि वो सिर्फ एक घंटे के लिए विद्रोहियों को रोक सकते हैं। लेकिन इस घंटे में मुझे अफगानी फोर्स कही नजर नहीं आई। 

उन्होंने आगे लिखा, ‘मैंने अपने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को मैसेज किया कि हमें कुछ करना होगा। लेकिन मुझे किसी से कोई जवाब नहीं मिला। 15 अगस्त की सुबह 9 बजे तक काबुल में लोग बेचैन हो उठे थे। तालिबान ने जब काबुल पर कब्जा किया तब मैंने अहमद मसूद को मैसेज किया जो उस वक्त काबुल में ही थें। इसके बाद मैं अपने घर गया और मैंने अपनी पत्नी और बेटियों की तस्वीरें नष्ट कर दीं। मैंने अपना कम्प्यूटर और कुछ जरुरी सामान इकट्ठा किया।’ सालेह ने लिखा कि उन्होंने अपने प्रमुख गार्ड रहिम से कहा कि अगर वो जख्मी हो जाते हैं तो वो उन्हें गोली मार दे। क्योंकि वो तालिबान के सामने सरेंडर नहीं करना चाहते हैं। 

सालेह ने बताया कि काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद उन्हें अफगानिस्तान से निकल जाने का ऑफर मिला था। लेकिन उन्होंने दूसरे राजनेताओं की तरह ऐसा नहीं किया। उन्होंने लिखा कि यहां से जाने वाले राजनेता महंगे होटले में ठहरते हैं और वहीं से ट्विटर और फेसबुक पर पोस्ट लिखकर अफगानियों के लिए लड़ने की बात कहते हैं। 

 
 

संबंधित खबरें

Source link