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जातीय जनगणना की मांग से बिहार के BJP और JDU में तल्खी

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बिहार—–

पटना: बिहार में जातीय जनगणना की मांग जबसे जोर पकड़ी है तब से रोज-ब-रोज नेताओं के अलग-अलग बोल सुनाई दे रहे हैं। साल 2021 में प्रस्तावित जनगणना को जातीय आधार पर कराने की मांग बिहार में जोर पकड़ ली है। इसी के फलस्वरूप पिछले दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में सभी विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात कर जातीय जनगणना की मांग की। यद्यपि प्रधानमंत्री की ओर से इस मांग पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है, फिर भी इस मांग को वोट की राजनीति से जोड़कर देखते हुए इसे खारिज भी नहीं किया गया है।
बताया जाता है कि नीतीश कुमार का 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से जातीय जनगणना के संबंध में हुई मुलाकात को बीजेपी के कुछ नेता उचित नहीं बता रहे हैं। बिहार में जेडीयू का सहयोगी होने के वाबजूद बीजेपी नेताओं ने पूरे मामले पर चुप्पी साध ली है। ऐसे में जातीय जनगणना पर बीजेपी और जेडीयू में धीरे-धीरे तल्खी बढ़ती जा रही है। एक तरफ बीजेपी नेता इस मामले को केन्द्रीय मुद्दा बताते हुए कुछ भी बोलने से परहेज़ कर रहे हैं तो वही दूसरी ओर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जातीय जनगणना कराने की मांग पर अड़े हुए हैं। इस संबंध में किसी भी बीजेपी नेता के बयान को उनका व्यक्तिगत बयान करार दे रहे हैं।
बताते चलें कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सीपी ठाकुर ने जातीय जनगणना के संबंध में बोलते हुए कहा है कि जनगणना का आधार जातीय नहीं बल्कि आर्थिक स्थिति होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री पर जाति आधारित जनगणना कराने पर दवाब नहीं बनाया जाना चाहिए। उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि उनकी स्पष्ट समझ है कि जनगणना अगर हो तो अमीरी और गरीबी के आधार पर हो। जातीय जनगणना समाज को बांटने की साज़िश है। उनका कहना था कि गरीब और अमीर हर जाति में होते हैं। गरीब की कोई जाति नहीं होती। आवश्यकता है कि देश में जाति नहीं बल्कि गरीबी के आधार पर जनगणना हो।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गुरुवार को जब राजगीर पहुंचे तो पत्रकारों ने उनसे सीपी ठाकुर के बयान के संबंध में पूछा। उन्होंने कहा कि कौन क्या बयान देता है इससे उन्हें कुछ लेना-देना नहीं है।सबको मालूम है कि विधानमंडल में सर्व सम्मति से इस संबंध में बिल पारित किया गया था।अब किसी की व्यक्तिगत राय के विषय में क्या कहा जा सकता है। मुख्यमंत्री से पहले जेडीयू के उपेन्द्र कुशवाहा ने सीपी ठाकुर के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि बीजेपी अगर जातीय जनगणना के पक्ष में अपना बयान देती है तो कहीं से कोई नुक़सान होने की बात ही नहीं है। वैसे बीजेपी के लोग क्या सोचते हैं और बाहर क्या बोलते हैं इस पर क्या कहा जाये।
जेडीयू के बयान के बाद बीजेपी के प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा है कि बीजेपी एकमात्र राजनीति दल है जिसके पास आंतरिक लोकतंत्र और प्रवचन की संस्कृति है। बिहार और भारत में अधिकांश राजनीतिक दल या तो एक पारिवारिक जागीर है या स्वार्थी व्यक्ति की पाकेट की पार्टी है। बीजेपी को कोई भी नसीहत देना सूर्य को दीपक दिखाने जैसा है। उपदेश देना संतों के लिए शोभनीय है।
निचोड़ यह है कि जातीय जनगणना को लेकर आपसी धींगामुश्ती शुरू है। यह तब है जब इस पर अंतिम निर्णय केन्द्र सरकार को लेना है। सभी ने अपनी-अपनी बातें केन्द्र सरकार के सामने रख दी है। इसपर निर्णय की प्रतीक्षा करना चाहिए और व्यर्थ की बयानबाजी से बचना चाहिए। यही लोकतंत्र के हित में है।
जे.पी.श्रीवास्तव,
ब्यूरो चीफ, बिहार।