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अवैध नर्सिंग होम चलाने का खुला पोल, सरकारी कर्मचारी जांच के घेरे में

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बिहार——-

पटना: बिहार में अवैध नर्सिंग होम, पैथोलॉजी सेंटर,एक्सरे, अल्ट्रासाउंड चलाने की शिकायतें बार-बार सरकार के संज्ञान में विभिन्न श्रोतों से लाई जाती है। सरकार की ओर से सख्त कार्रवाई करने का निर्देश जिले के सिविल सर्जनों को दिया जाता है, लेकिन सभी निर्देशों को या तो ठंढे बस्ते में डाल दिया जाता है,या खानापूर्ति के तौर पर कुछ कदम कार्रवाई की दिशा में उठाकर फिर बदस्तूर इसे चलने दिया जाता है। इस एवज में जांच करनेवाले पदाधिकारी की खुश कर दिया जाता है। यही कारण है कि ऐसे अवैध ढंग से चलने वाले नर्सिंग होम, पैथोलॉजी लैब,एक्सरे, अल्ट्रासाउंड आदि धड़ल्ले से अपना कारोबार चलाते हैं।
मिली जानकारी के अनुसार ऐसे ही एक अवैध नर्सिंग होम का भंडाफोड़ सहरसा में हुआ है। इस मामले में पुलिस,शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग के शामिल होने की बात सामने आई है। बताया जाता है कि आइएमए के सदस्यों ने सहरसा के एसपी लिपि सिंह से मिलकर शिकायत दर्ज कराई। एसपी लिपि सिंह ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के लिए एक टीम का गठन कर मामले की गहनता के साथ जांच के आदेश दिए। बताया जा रहा है कि इस नर्सिंग होम को चलाने में पुलिस कर्मी, सरकारी शिक्षक और स्वास्थ्य विभाग का एक कर्मी शामिल है। पुलिस दोषियों के खिलाफ सख्ती से निपटने की बात बता रही है। दरअसल जिस बिल्डिंग में इस नर्सिंग होम का संचालन हो रहा था वह बिल्डिंग डाॅक्टर मनोज कुमार की बताई जा रही है।
इस नर्सिंग होम निदान के संचालन का खुलासा तब हुआ जब इसके संचालक अमित आनंद और मकान मालिक डाॅ.मनोज कुमार के बीच एकरारनामा को लेकर विवाद हुआ। विवाद होने के बाद ही पता चला कि नर्सिंग होम के मुख्य संचालक अमित आनंद, पुलिस कार्यालय में आईटी सेल के दरोगा मंगलेश कुमार,एक सरकारी शिक्षक सनोज यादव और सदर अस्पताल के स्वास्थ्य समिति कार्यालय के मंतोष इसमें शामिल है। ये सभी इस अवैध नर्सिंग होम के पार्टनर बताये जाते हैं।
इस मामले में एसपी लिपि सिंह द्वारा बताया गया कि आइएमए के कुछ पदाधिकारियों द्वारा इस अवैध नर्सिंग होम के बारे में एक आवेदन दिया गया था। आवेदन में इस फर्जी नर्सिंग होम के विषय में कुछ सरकारी कर्मियों की संलिप्तता की बात बताई गई थी। जांच कराने पर इस नर्सिंग होम के संचालन में एक पुलिस सब इंस्पेक्टर दोषी पाये गये जिनके विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई कर दी गई है। इसमें शामिल शिक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई के निर्देश दे दिये गये हैं।
अब देखना पड़ेगा कि आगे इस मामले में क्या होता है।
जे.पी.श्रीवास्तव,
ब्यूरो चीफ, बिहार।