बिहार—–
पटना: सूत्रों से जानकारी मिली है कि जीतनराम मांझी जब बिहार के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने 34 निर्णय लिये थे। उनका आरोप है कि मुख्यमंत्री के पद से हटने के बाद उनके सभी निर्णय रोक दिये गये। बाद में लगभग 25-26 निर्णयों को नाम बदलकर लागू किया गया।
जीतनराम मांझी ने कहा है कि यदि उनकी सरकार बनेगी तो सभी निर्णयों को लागू करेंगे जिसका लाभ सभी वर्ग के लोगों को मिलेगा। राजनीति के जानकार उनके इस बयान को उनकी पार्टी का मुख्यमंत्री बनने से जोड़कर देखा जा रहा है। वैसे हर नेता की ख्वाहिश मुख्यमंत्री/प्रधानमंत्री बनने की रहती है। एक बात और है कि राजनीति में असंभव कुछ भी नहीं है। न जाने कब किसकी किस्मत बदल जाये।
पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने अपने कार्यकर्ताओं से कहा है कि अनुसूचित जाति, जनजाति समाज के लोगों को पार्टी से अधिक-से-अधिक संख्या में जोड़ें ताकि हम काफी मजबूत होंगे और सत्ता में हम मुख्य भूमिका में रहेंगे।उनका यह भी कहना था कि एकजुटता के अभाव के कारण ही हमारी अनदेखी हो रही है। भविष्य की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि आनेवाले दिनों में हम अपने लोगों को एकजुट करने में जरुर कामयाब होंगे।
बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व मंत्री संतोष मांझी, प्रदेश अध्यक्ष भागवत लाल वैश्यन्त्री, डॉ दानिश रिजवान, प्रफुल्ल चंद्रा समेत कई नेता उपस्थित थे। बताते चलें कि हम पार्टी द्वारा आयोजित अनुसूचित जाति-जनजाति प्रकोष्ठ की बैठक में जीतनराम मांझी बोल रहे थे।
जातीय जनगणना की मांग को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ प्रधानमंत्री से मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल में जीतनराम मांझी भी शामिल होंगे।इसकी पुष्टि करते हुए हम के प्रवक्ता डॉ दानिश रिजवान ने कहा कि जातीय जनगणना की मांग उनकी पार्टी पहले से करती आ रही है।
जे.पी.श्रीवास्तव,
ब्यूरो चीफ, बिहार।