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जातीय जनगणना पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का स्टैंड क्लियर

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बिहार:——
पटना: नीतीश कुमार शुरू से ही जातीय जनगणना के पक्षधर रहे हैं। विधानमंडल से जातीय जनगणना का प्रस्ताव दो बार सर्वसम्मति से पारित कराकर केन्द्र को भेजा जा चुका है। लेकिन केन्द्र द्वारा इसका अभी तक संज्ञान नहीं लिया गया है। अभी हाल में नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री को एक पत्र भेजकर जातीय जनगणना पर बातचीत करने के लिए मिलने का समय मांगा है। इसमें नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार से सर्वदलीय समिति के मिलने की चर्चा की गई है। लेकिन अभी तक प्रधानमंत्री की ओर से कोई जवाब नहीं आया है।
बताया जाता है कि नीतीश कुमार ने कहा है कि केन्द्र द्वारा जाति आधारित जनगणना नहीं कराये जाने पर राज्य स्तर पर जाति के आंकड़े इकट्ठा करने का काम शुरू किया जा सकता है। यह बयान पीएम मोदी की ओर से जवाब नहीं आने पर नीतीश कुमार की ओर से दिया गया है। नीतीश कुमार ने अपना स्टैंड क्लियर करते हुए कहा कि जाति आधारित जनगणना कराने का निर्णय केन्द्र सरकार को लेना है। लेकिन इसकी आवश्यकता इसलिए है कि भारत की जाति भिन्नता को ध्यान में रखते हुए जाति आधारित जनगणना आवश्यक है। नीतीश कुमार ने कहा कि हमने अपनी मांग रख दी है। इसमें कुछ भी राजनीतिक नहीं है। यह एक सामाजिक मामला है।
उन्होंने कहा कि उनसे विपक्ष ने मिलकर यह इच्छा जाहिर की और इस बात से उन्होंने पीएम को अवगत करा दिया। अब यह प्रधानमंत्री पर निर्भर करता है कि वे मिलने के लिए कब समय देते हैं। जाति आधारित जनगणना पर उनकी क्या राय है यह तो मिलने पर ही पता चल पायेगा। वैसे जाति आधारित जनगणना से यह पता चल जायेगा कि किस जाति की क्या स्थिति है। उन्होंने इसे सबके हित में बताया। उनका कहना है कि इसे राजनीतिक नहीं सामाजिक नजरिए से देखने की जरूरत है। लेकिन इस बारे में अंतिम निर्णय केन्द्र सरकार को लेना है।
अब देखना है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ-साथ विपक्ष के इस मांग पर केन्द्र सरकार क्या निर्णय लेती है। जाति आधारित जनगणना देश हित में है या नहीं यह केन्द्र सरकार द्वारा विचारित किये जाने का मामला है।
वैसे नीतीश कुमार का कहना है कि केन्द्र सरकार द्वारा विचार नहीं किये जाने की स्थिति में राज्य सरकार अपने स्तर पर जाति आधारित जनगणना पर विचार करेगी।

जे.पी.श्रीवास्तव,
ब्यूरो चीफ, बिहार।