बिहार —
जे.पी.श्रीवास्तव, बिहार
बिहार: अंतरराष्ट्रीय नशा मुक्ति दिवस पर नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की एक रिपोर्ट आई है। इस रिपोर्ट में शराब, गांजा, अफीम और चरस की तस्करी का जिक्र करते हुए प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि बिहार में सबसे ज्यादा गांजा, अफीम और चरस की तस्करी हो रही है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि 2015 से अबतक एनसीबी द्वारा 38209 किलो 67 ग्राम गांजा जिसमें प्रतिवेदित वर्ष में 4826किलो 100 ग्राम गांजा पकड़ा गया है और दूसरे नंबर पर अफीम की जब्ती हुई है। 546 किलो 49 ग्राम अफीम तथा 48 किलो 890 ग्राम चरस जप्त हुआ था। रिपोर्ट के अनुसार अन्य मादक पदार्थ बहुत कम मात्रा में जप्त किये गये थे।
एनसीबी ने अपने रिपोर्ट में खुलासा किया है कि कोविड काल के समय नशीले पदार्थों का उपयोग बढ़ा है। तस्करी का मार्ग पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान,गोल्डन ट्रैंगल म्यांमार, थाईलैंड,लाओस से तस्करी के माध्यम से नशीले पदार्थ मंगाये जा रहे हैं। बिहार में भी त्रिपुरा और श्रीलंका से तस्करी द्वारा नशीले पदार्थों के आने की सूचना है। यहां तक कि बिहार और झारखंड के कुछ हिस्सों में नशीले पदार्थों के खेती की सूचना भी एनसीबी को है। रिपोर्ट में 36 लोगों के गिरफ्तारी की सूचना भी है।
प्रश्न उठता है कि बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू है। सरकार पूर्ण शराबबंदी को सफल बनाने के लिए कृतसंकल्पित है। तब इतने बड़े पैमाने पर नशीले पदार्थों की तस्करी कैसे संभव हो रही है।
अभी 26 जून को अंतरराष्ट्रीय मादक पदार्थ निषेध दिवस मनाया गया है। इसके सेवन से होनेवाले दुष्प्रभाव के विषय में लोगों को जागरूक करने का कार्य हुआ है। पूरे देश में जागरूकता अभियान, गोष्ठियों का आयोजन कर लोगों को इसके नुकसान के प्रति सचेत किया गया है।
अब देखना यह है कि इसका सार्थक परिणाम क्या निकलता है।