तू अफसर बनेगा कहते-कहते पिता चल बसे, छोटी उम्र में ही उठानी पड़ी परिवार की जिम्मेदारी, मुश्किलों को मात देकर ऐसे बने IAS
हर माँ बाप का सपना होता है की उनका बेटा बड़ा होकर खूब नाम कमाए, देश के लिए कुछ अच्छा काम करे तथा वतन के विकास में अपना योगदान दे। इसलिए समाज में बहुत से ऐसे माँ-बाप होते हैं, जो चाहते हैं की उनका बेटा अफसर बने, क्यूंकि तभी वो असल मायने में देश के विकास में योगदान दे पाएंगे।
यूपीएससी टॉपर गौरव सिंह सोगरवाल के पिता भी यही चाहते थे की उनका बेटा बड़ा होके एक दिन अफसर बने, उनका ये सपना तो पूरा हो गए पर बदकिस्मती से वो अपने बेटे को अफसर बनते हुए देख नहीं पाए। उनके बेटे अपने जिले और राज्य में ही नहीं आज पुरे देश में अपनी कामयाबी से लोगों को प्रेरित कर रहें हैं।
आज आईएस सक्सेस स्टोरी (IAS Success Story) में हम आपको गौरव सिंह सोवरवाल की कहानी बताने जा रहें हैं, गौरव सिर्फ आज एक सफल आईएएस अफसर ही नहीं, बल्कि एक ऐसे नायक हैं, जिहोंने मुश्किल हालातों के सामने कभी हार नहीं मानी और सफलता मिलने तक पूरी तरह से डेट रहे।
UPSC: इतने संघर्षों के बावजूद भी नहीं रुके गौरव के कदम, ऐसे बनें यूपीएससी टॉपर।
भरतपुर, राजस्थान के रहने वाले गौरव सिंह सोगरवाल एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा एक हिंदी मीडियम स्कूल से प्राप्त की है। इसके बाद उन्होंने पुणे के भारती विद्यापीठ से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की है।
गौरव की माता उनके बचपन में ही गुजर गई थी और जब गौरव 14 साल के हुए तो उनके पिता का भी निधन हो गया। जिसके बाद से पूरे घर की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई थी। उन्हें अब खेती के अलावा अपने भाई बहनों की भी देखभाल करनी पड़ती थी। इतनी जिम्मेदारियों और संघर्षों के बावजूद भी गौरव अपने जीवन में आगे बढ़ते रहे।
जहां उनके यार दोस्त कॉलेज के दिनों मौज मस्ती किया करते थे। वहीं, गौरव की शुरुआत सुबह 5 बजे से होती थी और दिन भर अपनी पढ़ाई के साथ साथ घर का खर्चा चलाने के लिए वह बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाया करते थे। किसी तरह ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद वह यूपीएससी की तैयारी करने के लिए दिल्ली आ गए थे। यहां उन्होंने नारायण आईआईटी एकेडमी में पढ़ाना शुरू कर दिया। इसी बीच उन्हें कोटा के एक कोचिंग इंस्टिट्यूट में भी पढ़ाने का मौका मिला। इस नौकरी के बाद से उनका जीवन थोड़ा आसान हो गया था। यहां उन्होंने लगभग 2 साल काम किया और इसी बीच अपनी बहन की शादी की और छोटे भाई की पढ़ाई में मदद भी की। इन सबके बीच यूपीएससी की तैयारी कहीं पीछे छूट गई थी।
अपनी जिंदगी को वापस पटरी पर ले आने के बाद गौरव यूपीएससी की तैयारी में जुट गए थे। यूपीएससी के पहले प्रयास में प्रीलिम्स परीक्षा में एक अंक से गौरव का चयन रुक गया था। जबकि, दूसरे प्रयास में वह एक अंक से मेन्स परीक्षा नहीं पास कर पाए थे। हालांकि, इस बीच उनका चयन असिस्टेंट कमांडेंट के रूप में BSF में हो गया था। ट्रेनिंग के पहले दिन ही गौरव को खबर मिली कि उन्होंने 2015 की सिविल सेवा परीक्षा में 99वीं रैंक हासिल की है। गौरव ने अगले साल फिर यूपीएससी की परीक्षा दी और इस बार उन्होंने 46वीं रैंक प्राप्त की थी। गौरव ने न केवल अपने घर को संभाला और जिम्मेदारियों को पूरा किया बल्कि कड़ी मेहनत और लगन के चलते अपने पिता का भी सपना पूरा किया।
वर्ष 2020 में गोरखपुर में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट का भी पद संभाल चुके हैं गौरव सिंह सोगरवाल, और अब फिर से एक बार उनको नगर आयुक्त गोरखपुर की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
पूर्व में महज एक साल के कार्यकाल में गोरखपुर जिले के ज्वाइंट मजिस्ट्रेट/एसडीएम सदर गौरव सिंह सोगरवाल अलग छाप बना गए थे। आमजन की सुविधा के लिए कई अनूठी पहल करने वाले 2017 बैच के आईएएस गौरव सिंह सोगरवाल को अब शासन ने एक बार फिर से गोरखपुर नगर आयुक्त का जिम्मा सौंपा है।
अपने कई अच्छे कार्यों से अक्सर चर्चाओं में रहे हैं नवागत नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ।
27 जनवरी 2020 को गोरखपुर जिले में एसडीएम सदर की जिम्मेदारी संभालते ही गौरव सिंह सोगरवाल ने अपनी जो प्राथमिकताएं गिनाईं थीं उसे अंजाम देने में अगले दिन से जुट गए। गोरखपुर पहल नाम से शुरू किए अभियान में उन्होंने शहर में करीब 80 एकड़ तो ग्रामीण क्षेत्रों में 350 एकड़ सरकारी जमीन से कब्जा हटाया। इनमें कई नजूल और सीलिंग की जमीन थी जिसपर सालों से कई प्रभावशाली लोगों का कब्जा था। सोगरवाल ने दो दशक से अधिक समय से लंबित ताल सुमेर सागर की करीब 12 एकड़ जमीन भी कब्जामुक्त कराकर उसे फिर से ताल का स्वरूप दिया था।
कोरोना काल लॉकडाउन में भी नवागत नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल के कार्यों की काफी रही चर्चा।
गौरव सिंह सोगरवाल ने लॉकडाउन के बीच लोगों के घरों तक राशन, सब्जी, दूध आदि जरूरी सेवाएं समय और सुचारू रुप से पहुंच सके इसलिए खुद पहल कर नौ ऑनलाइन डिलीवरी पोर्टल की शुरुआत कराई। लोगों पर भार न पड़े इसलिए डिलीवरी चार्ज भी खत्म कराया। उनके इस काम को पीएमओ तक से सराहना मिली। लोगों को घर बैठे जरूरत के सारे सामान मिल गए।
गौरव कहते हैं की अगर किसी व्यक्ति में जूनून और जज्बा है तो गरीबी उसे, कुछ बड़ा करने से नहीं रोक सकती। भारत केसरी न्यूज़ चैनल गौरव सिंह सोगरवाल को उनकी सफलता पर ढ़ेर सारी बधाई देता है, तथा उनकी इस प्रेरणादाई कहानी से और भी कई गौरव निखर के बहार आये, ऐसी कामना करता है।
लेख- कृपा शंकर योगी