आय का जरिया जस का तस बच्चों को बेहतर शिक्षा देने की उम्मीदों पर फिर रहा पानी
महराजगंज। कोरोना काल के बाद स्कूलों की फीस में नियमित रूप से बढ़ोतरी हो रही है। कमाई व आय का जरिया जस का तस है। ऐसे में बच्चों को बेहतर ढंग से शिक्षित करने में जेब पर अधिक बोझ पड़ रहा है। इसी तरह नियमित रूप से फीस बढ़ी तो भविष्य में बच्चों को बेहतर शिक्षा देने की उम्मीदों पर पानी फिर जाएगा।ये बातें गांधी नगर के रहने वाले पवन कुमार वर्मा ने कहीं। उन्होंने कहा कि बड़ी बेटी पहले धनेवा धनेई स्थित एक स्कूल में पढ़ती थी तो फीस लगभग 1250 रुपये प्रतिमाह लगता था। पिछले वर्ष शास्त्री नगर वार्ड के स्कूल में प्रवेश कराया तो फीस 30 प्रतिशत बढ़ गई। इस बार उसे 50 प्रतिशत बढ़ा दिया गया। तीन से चार वर्षों में फीस का स्तर जहां दोगुना हो गया। वहीं कमाई का जरिया जस का तस बना हुआ है। ऐसे में शिक्षा के लिए भविष्य की राह दिन-प्रतिदिन कठिन हो रही है। शास्त्री नगर के रहने वाले गोविंद वर्मा ने कहा कि उनका पोता भी वार्ड के ही एक स्कूल में पढ़ता है। कोरोना काल से लेकर अब तक स्कूल की फीस में 30 से 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी होने से समस्या बढ़ रही है। आज के परिवेश में शिक्षा सभी के लिए जरूरी है। इसकी महत्ता को देखते हुए स्वयं की सुविधाओं से समझौता कर पढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कमाई का जरिया नहीं बढ़ा। इससे अधिकांश अभिभावकों पर अनावश्यक का दबाव भी बढ़ रहा है। *फीस का तुलनात्मक विवरण*कोरोना काल———- वर्ष 2022——– वर्ष 20231250—————— 1625———–2500बस की फीस में 10 से 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी बच्चों को स्कूल ले जाने वाले वाहनों में 10 से 20 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है। नगर सीमा में जहां 50 से 100 रुपये तक बढ़ोतरी हुई है। वहीं नगर सीमा के बाहर 100 से 200 रुपये तक। इस बढ़ोतरी से भी अभिभावक आहत हैं। बढ़ते समय के साथ बिजली मूल्यों ईंधन व अन्य सामग्रियों के मूल्यों में वृद्धि हो रही है। ऐसे में उसकी पूर्ति के लिए फीस को बढ़ाना आवश्यक है। सीजे थामस स्कूल में कार्य करने वाले शिक्षकों व कर्मियों के मानदेय में बढ़ोतरी न की जाए तो उन्हें एक स्थल पर रोकना कठिन है। ऐसे में फीस में थोड़ी बढ़ोतरी मजबूरी है।- रत्नेश चंद्रा, प्रबंधक