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पीएम मोदी ने मन की बात में महान धावक मिल्खा सिंह को किया याद, कहा- खेल के लिए समर्पित था उनका जीवन

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाले भारतीय खिलाड़ियों की सराहना करते हुए रविवार को कहा कि उन सभी ने इसके लिए सालों तक परिश्रम किया है। उन्होंने कहा कि देश को अगले महीने टोक्यो खेलों के दौरान उन पर दबाव डाले बिना उनका समर्थन करना चाहिए। कोरोना महामारी के कारण पिछले साल स्थगित हुए ओलंपिक का आयोजन इस साल 23 जुलाई से आठ सितंबर तक जापान की राजधानी में होगा जिसके लिए 100 से अधिक भारतीय खिलाड़ियों ने अपनी जगह पक्की की है। 

पीएम मोदी ने ‘मन की बात के जरिए देश के संबोधन में कहा, ‘टोक्यो जा रहे हर खिलाड़ी का अपना संघर्ष रहा है, बरसों की मेहनत रही है। वो सिर्फ अपने लिए ही नहीं जा रहें बल्कि देश के लिए जा रहे हैं। इन खिलाड़ियों को भारत का गौरव बढ़ाना है और लोगों का दिल भी जीतना है और इसलिए मेरे देशवासियों मैं आपको भी सलाह देना चाहता हूं, हमें जाने-अनजाने में भी हमारे इन खिलाड़ियों पर दबाव नहीं बनाना है, बल्कि खुले मन से, इनका साथ देना है, हर खिलाड़ी का उत्साह बढ़ाना है।’ भारत का ओलंपिक में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2012 में लंदन खेलों में रहा था। इन खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने दो रजत सहित छह पदक जीते थे। इसके बाद रियो ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ी सिर्फ दो पदक जीत सके।

इस संबोधन में प्रधानमंत्री ने दिग्गज फर्राटा धावक मिल्खा सिंह को भी याद किया, जिनका इस महीने कोरोना वायरस की चपेट में आने से निधन हो गया। मोदी ने कहा, ‘साथियों जब बात टोक्यो ओलंपिक की हो रही हो, तो भला मिल्खा सिंह जी जैसे दिग्गज एथलीट को कौन भूल सकता है। कुछ दिन पहले ही कोरोना ने उन्हें हमसे छीन लिया। जब वे अस्पताल में थे, तो मुझे उनसे बात करने का अवसर मिला था। उनसे बात करते हुए मैंने उनसे आग्रह किया था। मैंने कहा था कि आपने तो 1964 में टोक्यो ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया था, इसलिए इस बार, जब हमारे खिलाड़ी, ओलंपिक के लिए टोक्यो जा रहे हैं, तो आपको हमारे खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाना है, उन्हें अपने संदेश से प्रेरित करना है।’

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प्रधानमंत्री ने कहा, ‘वो खेल को लेकर इतना समर्पित और भावुक थे कि बीमारी में भी उन्होंने तुरंत ही इसके लिए हामी भर दी लेकिन दुर्भाग्य से नियति को कुछ और मंजूर था। ओलंपिक में भाग लेने वाले खिलाड़ियों के बारे में बात करते हुए प्रधानमंत्री ने तीरंदाज दीपिका कुमारी और प्रवीण जाधव, हॉकी खिलाड़ी नेहा गोयल, मुक्केबाज मनीष कौशिक, पैदल चाल खिलाड़ी प्रियंका गोस्वामी, भालाफेंक एथलीट शिवपाल सिंह, बैडमिंटन खिलाड़ी चिराग शेट्टी एवं उनके साथी सात्विक साईराज रंकीरेड्डी और तलवारबाज सीए भवानी देवी के जिंदगी के संघर्षों का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘हमारे देश में तो अधिकांश खिलाड़ी छोटे-छोटे शहरों, कस्बों, गांवों से निकल कर आते हैं। टोक्यो जा रहे हमारे ओलंपिक दल में भी कई ऐसे खिलाड़ी शामिल हैं, जिनका जीवन बहुत प्रेरित करता है।’ 
    
प्रधानमंत्री ने अपने पहले ओलंपिक खेलों के लिए क्वालीफाई करने के लिए कठिन परिस्थितियों से गुजरने के लिए जाधव और गोयल की सराहना की। जाधव के माता-पिता मजदूरी करते थे तो वहीं गोयल की मां साइकिल कारखाने में काम करती थी। उन्होंने कहा, ‘उनके (जाधव) माता-पिता मजदूरी कर परिवार चलाते हैं, और अब उनका बेटा, अपना पहला ओलंपिक खेलने टोक्यो जा रहा है। ये सिर्फ उनके माता-पिता ही नहीं, हम सभी के लिए कितने गौरव की बात है। नेहा, टोक्यो जा रही महिला हॉकी टीम की सदस्य हैं। उनकी मां और बहनें, साईकिल कारखाने में काम करके परिवार का खर्च जुटाती हैं।उत्तर प्रदेश की प्रियंका गोस्वामी 20 किलोमीटर पैदल चाल में देश का प्रतिनिधित्व करेंगे। उनके पिता बस कंडक्टर हैं।’

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मोदी ने कहा, ‘प्रियंका के पिता बस कंडक्टर हैं। बचपन में प्रियंका को वो बैग बहुत पसंद था, जो मेडल पाने वाले खिलाड़ियों को मिलता है। इसी आकर्षण में उन्होंने पहली बार पैदल-चाल प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था। अब, आज वो इसकी बड़ी चैम्पियन हैं। मोदी ने भवानी देवी के जीवन का भी संक्षेप में जिक्र किया, जो खेलों के लिए क्वालीफाई करने वाली देश की पहली तलवारबाज हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं कहीं पढ़ रहा था कि भवानी का प्रशिक्षण जारी रहे, इसके लिए उनकी मां ने अपने गहने तक गिरवी रख दिए थे।’

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