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जब कानून के रखवाले ही हो जायें बेगाने तो उम्मीद किससे की जाये

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बिहार–

 

जे.पी.श्रीवास्तव, बिहार

मोतिहारी: एक समय था जब यहां अंग्रेजों का राज्य था। लोग त्राहिमाम करके दिन गुजारते थे।हां कुछ चापलूसों की चांदी अवश्य कटती थी। उस समय किसी की फरियाद सुनने वाला कोई नहीं था। बहुत मशक्कत के बाद आजादी मिली। लोगों ने राहत की सांस ली। सोचा चलो अब अपना राज हुआ। अब कोई किसी को सता नहीं सकता।

लेकिन दु:ख तब होता है जब ढिंढोरा तो सुशासन का पिटा जाता है लेकिन होता कुछ और है। साधारण व्यक्ति और निर्बल जनता की बात को कोई सुननेवाला नहीं होता है। हम बात कर रहे हैं बिहार के सुशासन सरकार की। यहां भू-माफियाओं को न तो पुलिस का डर है और न जिला प्रशासन का। इनका पुलिस से बड़ा गहरा लगाव रहता है। वे जब चाहें जैसा चाहें कर सकते हैं।

मोतिहारी में भू-माफियाओं और पुलिस की मिली भगत ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है। गाज ज़मीन के वास्तविक मालिकाना हक रखनेवालों पर गिर रही है। भू-माफियाओं को इसका कोई भय नहीं है कि जमीन के मालिक कौन हैं। बस देर है तो खाली जमीन पर नजर पड़ने की। फिर तो हरवा-हथियार,गोली बारुद के साथ दिनदहाड़े जमीन पर कब्जा जमाने के लिए सैकड़ों की तादाद में पहुंच कर जमीन कब्जाने का काम धड़ल्ले से कर रहे हैं। आप चाहें लाख कोशिश कर लें,अपनी फरियाद आला अधिकारियों तक पहुचालें लेकिन सुननेवाला कोई नहीं मिलेगा। प्रशासन की मौजूदगी में भू-माफियाओं द्वारा गोलियों की बौछार कर दी जायेगी, लेकिन प्रशासनिक अधिकारी और पुलिस मौन धारण कर लेंगे।

मोतिहारी शहर में पिछले एक सप्ताह के भीतर भू-माफियाओं के कारनामे जानकर लोग हैरत में पड़ गये हैं। सुशासन की सरकार में पूर्वी चम्पारण जिले के लोगों को अपनी जमीन बचाना मुश्किल हो गया है। कब और कहां किस जमीन को भू-माफियाओं द्वारा कब्जा कर लिया जाएगा,कहना मुश्किल है। मोतिहारी शहर बेलवनवा मुहल्ले के जिला परिषद के सामने वाली भू-खंड पर कब्जे को लेकर दिनभर सरगर्मी बनी रही। थाने से लेकर उक्त भू-खंड तक गहमागहमी का माहौल बना रहा। काफी कीमती जमीन पर कब्जा करने के लिए चाहरदिवारी निर्माण की सामग्री वहां गिराकर निर्माण की सूचना मिलते ही जमीन के असली दावेदार वहां पहुंच कर अपना-अपना दावा पेश करने लगे। लेकिन उनकी सुनने वाला वहां कोई नहीं था।

बताया जाता है कि बेलवनवा मुहल्ला निवासी किशोर प्रसाद नामक व्यक्ति ने नगर थाना में आवेदन देकर उक्त भू-खंड पर अपना दावा पेश किया और उस जगह पर किसी प्रकार के निर्माण पर रोक लगाने तथा अतिक्रमण हटाने की मांग की । लेकिन पुलिस का सहयोग नहीं मिला। जमीन के दावेदार ने नगर थाना से लेकर डीएसपी, एसपी तक गुहार लगाई लेकिन कोई सुननेवाला नहीं था। थक हारकर जमीन मालिक ने एक बड़े अधिकारी को फोन किया तब जाकर पुलिस हरकत में आई।

पिड़ीत पक्ष का आरोप है कि भू-माफियाओं और पुलिस की मिलीभगत के कारण जबरन जमीन पर कब्जा करने का कार्य किया जा रहा है। आगे भी उनका डर बना रहेगा ऐसी संभावना जताई गई है।

यह तब है जब पटना उच्च न्यायालय द्वारा कथित भूमि पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया गया है। अब सवाल उठता है कि उच्च न्यायालय के आदेश को कार्यान्वित करने की जवाबदेही जिला प्रशासन का है, या यों कहें कि पुलिस पदाधिकारियों का है। ऐसी स्थिति में जब पुलिस पदाधिकारियों पर ही भू-माफियाओं से मिलीभगत का आरोप लगने लगे तब तो भगवान ही मालिक हैं।

जब इस पूरे मामले में पुलिस मुख्यालय हरकत में आया तब जाकर नगर थाना के इंस्पेक्टर विजय कुमार राय, राकेश कुमार राय, जितेंद्र कुमार,अनमोल यादव पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर पहुंच कर निर्माण कार्य को रोक दिया। पुलिस का कहना है कि मामला भूमि विवाद से जुड़ा है। इसमें प्रशासनिक पदाधिकारियों की मदद ली जाएगी और मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में अग्रतर कार्रवाई की जाएगी।

दूसरी घटना चकिया चीनी मिल के जमीन की है। जिस जमीन पर धारा 144 लागूं है उस कई एकड़ जमीन पर गिट्टी बालू गिराकर पुलिस प्रशासन की मिलीभगत से भू-माफियाओं द्वारा बाउंड्री करा लिया गया और पुलिस प्रशासन कुछ नहीं कर पाई। डीएम के संज्ञान में मामला आने के बाद इस पूरे मामले की जांच एक तीन सदस्यीय समिति से कराई जा रही है।

इसी प्रकार की घटना मोतिहारी शहर से सटे रघुनाथपुर के बालगंगा में घटी है। यहां भी जमीन कब्जा करने आये लोगों ने जमीन के मालिकाना हक का दावा करनेवाले लोगों पर गोली और इंट पत्थर चलाकर चार लोगों को पुलिस प्रशासन के सामने घायल कर दिया लेकिन पुलिस प्रशासन तमाशाबीन बनकर खड़ी रही।

पुलिस प्रशासन की नकारात्मक रवैए से असली जमीन मालिकों की निंद हराम हो गई है। लोग सकते में रह रहे हैं कि कब किसके जमीन पर इस तरह का बखेड़ा खड़ा कर दिया जायेगा।