Search
Close this search box.

जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम में लोगों की फरियाद सीधे मुख्यमंत्री से

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

बिहार—–

जे.पी.श्रीवास्तव, बिहार

पटना:देश की आजादी मिलने पर हमारे नेताओं ने जिस प्रजातंत्र की कल्पना की थी उसका एक अभिन्न अंग था राजनेताओं का आमजनता के साथ सीधे जुड़ना,उनका दुःख दर्द जानना और उसमें सहभागी होना।
इसी अवधारणा के साथ बिहार में पिछले वर्षों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा”जनता के दरबार में मुख्यमंत्री” कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी जो किसी कारणवश बंद कर दिया गया था।
पुनः इसकी शुरुआत 12 जुलाई से बिहार में कर दिया गया है।
इस कार्यक्रम”जनता के दरबार में मुख्यमंत्री” में बिहार के कोने-कोने से लोग आकर अपनी फरियाद सीधे मुख्यमंत्री के समक्ष रखते हैं। उनका ऐसा मानना है कि सीधे मुख्यमंत्री के समक्ष अपनी समस्या रखने से उसका निदान शीघ्र हो जायेगा। ऐसा होता भी है। बहुतेरे समस्याओं का निदान ऑन द स्पॉट हो जाता है।
मिली जानकारी के अनुसार जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जनता से सीधे मिलकर उनकी समस्याएं सुन रहे थे। इसी दरम्यान एक महिला ने जनता दरबार से ही गले से सोने के चेन गायब होने की बात मुख्यमंत्री को बताई। सीएम ने एक डीएसपी स्तर के अधिकारी को जांच करने का आदेश दिया। कुछ लोगों ने जमीन विवाद का मामला तो कुछ लोगों ने कागज पर अस्पताल चलने की बात बताई। एक फरियादी ने अपनी पत्नी जो आंगनबाड़ी सेविका है उसे वर्ष 2018 से मानदेय नहीं मिलने की बात बताई। इसे सुनकर मुख्यमंत्री काफी आक्रोशित हो गये। उन्होंने तुरंत पूरे बिहार में इस तरह के मामलों की जांच कराकर कार्रवाई करने का निर्देश समाज कल्याण विभाग के प्रधान सचिव को दिया। इसी तरह कागज पर अस्पताल चलने की बात सुनकर इसे गंभीरता से लेते हुए स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत को तुरंत कार्रवाई करने का निर्देश दिया। ज़मीनी विवाद के मामले को भी संबंधित अधिकारियों को निपटाने का निर्देश दिया।
आश्चर्य तो तब हुआ जब एक फरियादी जनता दरबार में बैठते ही कहा कि वह ब्लैक फंगस का मरीज है।कोविड-19 कोरोना महामारी के चलते जनता दरबार में वैसे ही लोगों को आना था जिन्हें कोरोना का निगेटिव सर्टिफिकेट मिला हो। इसकी जांच के बाद ही जनता दरबार में प्रविष्टि देना था। इस चूक के लिए कुछ देर तक अफरातफरी का माहौल बना रहा।
मिली सूचना के मुताबिक जनता दरबार में कई-कई विभागों से संबंधित मामले सीएम के समक्ष जनता द्वारा रखा गया जिसे सुनकर सीएम ने त्वरित कार्रवाई करने का निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए। इस जनता दरबार के लगने से इतना तो तय है कि पदाधिकारियों में काम करने की प्रवृत्ति जगेगी। उन्हें यह डर बना रहेगा कि काम नहीं करने पर शिकायत सीधे मुख्यमंत्री के पास पहुंच जा सकती है। प्रजातंत्र के सफल संचालन के लिए यह अति आवश्यक है।