बिहार—–
बिहार: बिहार में घूसखोरी का प्रचलन इतना बढ़ गया है कि आम आदमी से रसूख वाले आदमी भी परेशान नजर आ रहे हैं। घूसखोरों को न तो शासन -प्रशासन का डर रह गया है, न विजिलेंस का डर है और न मंत्री का डर है। आएदिन विजिलेंस की गिरफ्त में आने का समाचार प्रकाशित होता रह रहा है। लेकिन मजाल है कि घूसखोरों के उपर इसका कोई असर होता हो।
प्राप्त समाचार के मुताबिक छपरा सदर अस्पताल में पोस्टेड एक लिपिक ने डॉक्टर से रिश्वत की मांग कर दी। यह तब है जब उक्त डाॅक्टर उसी सदर अस्पताल में पोस्टेड हैं। दाद देनी होगी उस लिपिक की जिसमें शर्म और हया नाम की कोई चीज बाकी नहीं रह गई थी। बताया जाता है कि छपरा सदर अस्पताल में कार्यरत एक डॉक्टर संजीव कुमार ने निगरानी में शिकायत दर्ज कराई थी कि सदर अस्पताल में कार्यरत लिपिक राकेश कुमार द्वारा बकाया मकान किराया, परिवहन भत्ता, एसीपी लाभ के अंतर राशि के भुगतान के लिए 10,000 रुपये रिश्वत की मांग की जा रही है।
निगरानी द्वारा सत्यापन के क्रम में शिकायत को सही पाया गया। शिकायत सही पाये जाने के बाद निगरानी विभाग ने पुलिस उपाधीक्षक अरुण पासवान के नेतृत्व में धावा दल का गठन कर छापामारी करने के लिए टीम को पटना से छपरा रवाना कर दिया। निगरानी टीम के इशारे पर डाॅक्टर संजीव कुमार ने जैसे ही 10,000 रुपये राकेश कुमार को दिया वैसे ही घूस की रकम के साथ निगरानी की टीम ने राकेश कुमार को रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया।
निगरानी की टीम द्वारा पूछताछ के बाद अभियुक्त राकेश कुमार को मुजफ्फरपुर स्थित निगरानी की अदालत में पेश किया जाएगा।
जे.पी.श्रीवास्तव,
ब्यूरो चीफ, बिहार।