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*ऑनलाइन संस्कृत शिक्षण से स्थापित किया कीर्तिमान, *आगे संस्कृत सेवा पोर्टल की योजना – विनय श्रीवास्तव*

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महराजगंज। उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ द्वारा कोरोना काल से ही निरंतर आनलाइन कक्षाएं संचालित हैं। जो अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि हैं। संस्थान द्वारा संचालित वर्ष 2022-23 के मार्च मासीय सत्र के समारोह कार्यक्रम का शुभारंभ संस्थान गीतिका से हुआ। कार्यक्रम का संचालन महराजगंज से संस्थान के प्रशिक्षक आचार्य दिवाकर मणि त्रिपाठी ने किया। शिक्षार्थीगण ने वाग्पुष्पों से समागतों का अभिनन्दन किया। सभी को संबोधित करते हुए निदेशक विनय श्रीवास्तव ने बताया कि किसी भी प्रदेश की अकादमी के लिए इस प्रकार का काम आसान नहीं हैं। संस्थान ने 2022-23 के वित्त वर्ष में 570 कक्षाओं के द्वारा 32462 पंजीकृत शिक्षार्थियों को अपनी आनलाइन कक्षाओं में आमंत्रित किया। उनमें से प्रायः 12943 शिक्षार्थी कक्षाओं पूरे मासिक सत्र में उपस्थित रहे। शिक्षणोत्तर आयोजित परीक्षा में लगभग 9803 शिक्षार्थियों भाग लिया जिनमे 8765 शिक्षार्थियों ने उत्तीर्ण होकर प्रमाण पत्र प्राप्त हैं। इसी प्रकार वर्ष 2021-22 में 404 कक्षाओं के माध्यम से 36733 पंजीकृत 13930 उपस्थित 9608 परीक्षार्थी तथा 8469 शिक्षार्थियों ने उत्तीर्ण होकर प्रमाण पत्र प्राप्त किया। इसी क्रम में 2020 में लगभग 8000 पंजीकृत में 5000 को पढ़ाया गया जिनमें 4000 परीक्षार्थी परीक्षा देकर उत्तीर्ण हुएं। यह उपलब्धि अपने आप विशिष्ट हैं। इस क्रम में संस्कृत सेवा पोर्टल के माध्यम से संस्थान के प्रशिक्षित योग पौरोहित्य शिक्षक का डाटा अपडेट होगा जिससे व्यक्ति घर बैठे लाभ प्राप्त कर सके।

योजना सर्वेक्षिका चंद्रकलाशाक्या ने बताया कि https://sanskritsambhashan.com/ लिंक के माध्यम से अपनी सौविध्य के अनुरूप किसी भी ईप्सित समय पर पंजीयन कर 20 दिवसीय एक घंटात्मिका कक्षा को गूगल मीट के माध्यम से जुड़ कर प्रथम व द्वितीय स्तर के पाठ्यक्रमों को पढ़ सकते हैं जो बिल्कुल निःशुल्क हैं। शिक्षकों का अभिमुखीकरण कर तृतीय स्तर के पाठ्यक्रम को भी तैयार किया जाएगा।
प्रशिक्षण प्रमुख सुधीष्ठ मिश्र ने बताया कि जो शून्य से आरंभ करना चाहते हैं वे प्रथम तथा जिन्हें भाषा का आरंभिक ज्ञान हैं वे द्वितीय स्तर के पाठ को पढ सकते हैं। यह पाठ आकर्षक रीति से सज्ज विद पीपीटी हैं। शिक्षक शिक्षार्थी संवाद के माध्यम से शिक्षण
में भाग लेते हैं। हमारे समन्वयकगण धीरज मैठाणी राधाशर्मा व दिव्यरंजन की रिपोर्ट के अनुसार शिक्षार्थियों का मानना हैं कि आजकल की व्यक्ततम जीवन में जहां प्रत्यक्ष रूप संस्कृत की कक्षाओं में भाग लेना सहज नहीं हैं। उस स्थिति संस्थान की आनलाइन कक्षा एक अच्छा विकल्प हैं। निरन्तर चलता रहे तो और लोग लाभान्वित होंगे। प्रशिक्षक गण ने समागतों का धन्यवाद किया। गौरतलब हैं कि संस्थान के 50 प्रशिक्षक इस योजना के माध्यम से संस्कृत भाषा शिक्षण कक्षाओं को संचालित कर रहे हैं। समारोप सत्र में पूजा आराधना मित्तल नीरज इत्यादि शिक्षार्थियों ने अपना अनुभव सुनाया। शांति मंत्र से कार्यक्रम संपन्न हुआ। आभासिक रूप सभी शिक्षार्थी संस्थान के पदाधिकारी सामाजिक संस्कृताभिमानी लगभग सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।