18 साल बाद पिछड़े वर्ग से हुआ ज़िला अध्यक्ष, अमरनाथ, करन के बाद मुखलाल तीसरा बैकवर्ड चेहरा
आठ वर्ष बाद ज़िले की राजनीति में लौटेंगे मुखलाल, आसान नहीं होगा नेतृत्व की चुनौतियों से पार पाना…!
1980 से अब तक हो चुके हैं 17 ज़िला अध्यक्ष, 12 ब्राह्मण, रणवेंद्र अकेले क्षत्रिय, कृष्णा अकेली दलित, उमा शंकर को मिला दो बार रंगपाल पटेल भाजपा किसान मोर्चा सोशल मीडिया प्रभारी
फतेहपुर। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी का ज़िले में अंत्वोगत्वा नेतृत्व परिवर्तन हो गया। मुखलाल पाल को नया ज़िला अध्यक्ष बनाया गया है।प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी द्वारा आज प्रदेश के जिन 79 जिलाध्यक्षों की घोषणा की गई उनमें फतेहपुर में पिछड़े वर्ग के चेहरे को ज़िम्मेदारी सौंपी गई है। लगभग 43 वर्ष के भाजपाई सफ़र में यह तीसरा मौक़ा है जब पिछड़े वर्ग से जिलाध्यक्ष बनाया गया है। इसके पूर्व 1985 में अमरनाथ चौरसिया व 2005 में करन सिंह पटेल पिछड़े वर्ग से बने थे।
गौरतलब है कि भाजपा के फतेहपुर में नए जिलाध्यक्ष मुखलाल पाल की लगभग आठ साल बाद ज़िले की सक्रिय राजनीति में वापसी हुईं हैं। ज़िला संगठन में अन्तिम बार वह 2012 से 2015 तक तत्कालीन जिलाध्यक्ष रणवेंद्र प्रताप उर्फ़ धुन्नी सिंह के साथ ज़िला कार्यकारिणी में महासचिव थे। इसके पूर्व 2010 से 2012 तक वे प्रभुदत्त दीक्षित के साथ भी ज़िला इकाई में भी महासचिव रहे थे। इसके पूर्व उन्होंने वर्ष 2000 के क़रीब भाजपा युवामोर्चा के जिलाध्यक्ष भी रह चुके हैं।
उल्लेखनीय है कि भाजपा के 1980 में अस्तित्व में आनें के बाद बनें जिला अध्यक्षों की सूची पर गौर करें तो मिलता है कि जिले में 17 बार नेतृत्व परिवर्तन हुआ और 12 बार ब्राह्मण चेहरे पर मुहर लगी जबकि पांच बार गैर ब्राह्मण जिलाध्यक्ष हुआ। तीन बार पिछड़े वर्ग से, एक बार क्षत्रिय व एक ही बार दलित समाज को ज़िला नेतृत्व संभालने का अवसर मिला।
भाजपा से यहां सर्वप्रथम स्व. सर्वदानंद शास्त्री जिलाध्यक्ष हुए, उसके बाद महेन्द्रनाथ बाजपेई, फिर अमरनाथ चौरसिया, स्व. श्रीधर शुक्ला वैद्यजी, स्व. उमा शंकर त्रिपाठी, स्व. हरि नारायण दुबे उर्फ़ नन्दन बाबू, मनोज शुक्ला, स्व. उमा शंकर त्रिपाठी, रमाकान्त त्रिपाठी, करन सिंह पटेल, कृष्णा पासवान, प्रभुदत्त दीक्षित, रणवेंद्र प्रताप उर्फ़ धुन्नी सिंह, दिनेश बाजपेई, प्रमोद द्विवेदी, आशीष मिश्रा और अब मुखलाल पाल को ज़िला अध्यक्ष बनाया गया है।
यहां पर बताते चलें कि भाजपा के जिन पांच गैर ब्राह्मण ज़िला अध्यक्ष हुए उनमें तीन करन सिंह पटेल, कृष्णा पासवान एवं रणवेंद्र प्रताप उर्फ़ धुन्नी सिंह को आगे चलकर पार्टी ने विधान सभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया और तीनों जीतकर विधानसभा पहुंचे। कृष्णा पासवान मौजूदा समय में भी विधायक हैं।
सूत्रों की मानें तो 2015 में भाजपा के जिला महासचिव पद से हटने के बाद मुखलाल पाल का जिले की राजनीति से मोहभंग माना जाता है, इस दरमियान वे भाजपा की क्षेत्रीय राजनीति में अवश्य सक्रिय रहें किन्तु ज़िले की राजनीति से उनका कोई सरोकार नहीं रहा। कुल मिलाकर लगभग आठ वर्ष बाद मुखलाल पाल की ज़िले की राजनीति में सीधे ज़िला अध्यक्ष के रूप में वापसी किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं होगी। क्योंकि ज़िले की भाजपाई राजनीति में पिछले आठ वर्ष में बहुत कुछ बदलाव अनुमानित है। उनके समक्ष एक तरफ़ अपने को साबित करने की बड़ी चुनौती होगी तो दूसरी ओर अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव से पूर्व सब कुछ दुरुस्त करना इतना आसान नहीं होगा…!
मुखलाल पाल को भाजपा का नया ज़िला अध्यक्ष नामित किए जाने पर स्थानीय पार्टी जनों एवं जनप्रतिनिधियों ने हर्ष व्यक्त किया है।