बिहार——
पटना: बिहार में आये दिन राजनीतिक उथल-पुथल की बात सामने आती रहती है। यह कटु सत्य है कि हर कोई राजनीति के अन्तिम शिखर पर पहुंचने की लालसा लेकर राजनीति में आता है। अब यह अलग बात है कि सभी की मनोकामना पूरी नहीं होती है। बिरले व्यक्ति ही होते हैं जिन्हें राज्य या केन्द्र सरकार में मंत्री पद प्राप्त होता है। मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री बनने की बात तो बहुत दूर की कौड़ी है।
भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष और मुजफ्फरपुर से सांसद अजय निषाद ने कहा कि जदयू में आने के बाद से ही उपेन्द्र कुशवाहा सीएम नीतीश कुमार को केन्द्र की राजनीति में भेजना चाहते हैं। उनकी अंदरुनी मंशा यह है कि नीतीश कुमार के केन्द्र की राजनीति में जाने के बाद बिहार के सीएम की कुर्सी खाली हो जायेगी और वे मुख्यमंत्री बन जायेंगे।
अपनी पार्टी रालोसपा का जदयू में विलय के बाद उपेन्द्र कुशवाहा जो वर्तमान में जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष हैं, उन्होंने सीएम नीतीश कुमार को पीएम मैटेरियल बताकर बिहार की राजनीति में एक सनसनी पैदा कर दी थी।हाल में सम्पन्न जेडीयू की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में इस आशय का प्रस्ताव पास होने के बाद से भाजपा की ओर से इस पर प्रतिक्रिया आने लगी है।
भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष और मुजफ्फरपुर संसदीय क्षेत्र से सांसद अजय निषाद ने इसके लिए उपेन्द्र कुशवाहा को जिम्मेवार मानते हुए कहा है कि एनडीए में उन्हें बहुत सम्मान मिला था। लेकिन वे यूपीए के साथ चले गए। पिछले लोकसभा चुनाव में उन्होंने अपनी गणित के आधार पर यादव के दुध में अपना चावल मिलाकर खीर बनाने की कोशिश की थी। लेकिन वहां उन्हें निराशा ही हाथ लगी। फिर उन्होंने एनडीए की ओर रुख कर वापसी की है और नीतीश कुमार ने पिछली सारी बातों को भूलाते हुए उन्हें जदयू में सम्मानजनक पद देते हुए जदयू संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बना दिया।
सांसद निषाद ने कहा है कि जदयू में इंट्री मिलते ही उन्होंने अपनी खिचड़ी पकाना शुरू कर दिया है।सीएम नीतीश कुमार को केन्द्र का सपना दिखाकर अपना मकसद पूरा करना चाहते हैं।अब तो उनके लिए भावी मुख्यमंत्री की बात भी होने लगी है। प्रदेश उपाध्यक्ष बताते हैं कि यह सब होनेवाला नहीं है।उनका साफ कहना है कि जबतक नीतीश कुमार हैं तबतक वे ही बिहार के मुख्यमंत्री रहेंगे।
सांसद निषाद ने इशारों में ही उपेन्द्र कुशवाहा को बता दिया कि सीएम की कोई वेकेंसी नहीं है। उन्होंने विकास की बात करते हुए कहा कि एनडीए के सभी घटक दलों को मिलकर विकास को रफ्तार देने की जरूरत है।किसी भी तरह की बयानबाजी विकास के रफ्तार के लिए घातक हो सकता है। इससे सबको बचना चाहिए।
वैसे एक बात बिल्कुल साफ है कि बिहार की राजनीति के चाणक्य नीतीश कुमार हैं और जबतक वे राजनीति के पटल पर विराजमान हैं कोई दूसरा उनका स्थान नहीं ले सकता। चाहे जो जितना खिचड़ी पकाना हो पकाले। राजनीति पर उनकी बहुत गहरी पकडझ है और यही कारण है कि उनका कोई तोड़ नहीं है।
जे.पी.श्रीवास्तव,
ब्यूरो चीफ, बिहार।