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बिहारवासियों के खिल्ली उड़ाने वाले नेता अपने गिरेबान में झांके

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बिहारवासियों के खिल्ली उड़ाने वाले नेता अपने गिरेबान में झांके
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जेपी श्रीवास्तव, ब्यूरो चीफ, बिहार
इधर लगातार बिहारियों पर कुछ नेताओं द्वारा तंज कसना शुरू किया गया है। कभी महाराष्ट्र के एक नेता,कभी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल,कभी राजस्थान के नेता,कभी गुजरात के नेता,कभी तेलांगना के नेतातो कभी पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी बिहारियों को अपने राज्य से बाहर निकालने की बात करते हैं।
उक्त नेताओं के द्वारा बिहारियों के प्रति उगले जानेवाले आग के पिछे की मंशा को समझना होगा। ये सभी नेता बिहारियों के प्रति नफरत फैलाकर अपनी राजनीति चमकाना चाहते हैं। कहना नहीं होगा कि भारतवर्ष के अनेकों ऐसे राज्य हैं जिनकी उन्नति में बिहारियों का खून पसीना लगा हुआ है। आज भी यदि बिहारी अपने राज्य को छोड़कर अन्य राज्यों में जाना बंद कर दें तो उस राज्य की प्रगति न केवल रुक जायेगी, बल्कि विकसित राज्य की श्रेणी से बहुत पिछे रह जाना पड़ेगा।
आज की स्थिति यह है कि बिहारी छात्र-छात्राएं प्रतिभा के मामले में अन्य राज्यों से बहुत आगे बढ़ गये हैं। आप संघ लोकसेवा आयोग अथवा अन्य केन्द्रीय परीक्षा परिणाम को उठाकर देख लीजिए,अन्य राज्यों की तुलना में बिहारी छात्र-छात्राओं का प्रतिशत बहुत आगे दिखाई देगा। अन्य राज्यों के नेताओं का बिहारियों के प्रति खुन्नस का एक कारण यह भी हो सकता है; जबकि क्रोधावेश में उन नेताओं द्वारा अनाप-सनाप आरोप लगाये जा रहे हैं,जो सच्चाई से कोसों दूर है।
केन्द्र सरकार द्वारा इसका संज्ञान लेते हुए इस पर तुरंत रोक लगाने की कार्रवाई की जानी चाहिए। भारतवर्ष एक संघ शासित देश है। भारतीय संविधान द्वारा जो मूल भूत अधिकार नागरिकों को दिये गये हैं उसका सम्मान होना चाहिए। भारतवर्ष के संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों के तहत कोई भी नागरिक एक राज्य से दूसरे राज्य में शिक्षा ग्रहण करने, रोजगार पाने या फिर नौकरी करने के लिए जा सकता है। ऐसी स्थिति में बाहरी राज्य, बिहारी शब्द की बात कहकर ये लोग क्या साबित करना चाहते हैं।
भारतीय संविधान से उपर कोई व्यक्ति नहीं हो सकता। ऐसे में सभी नेताओं को भारतीय संविधान का सम्मान करते हुए इस तरह के नफरत फ़ैलाने वाली बातों से बचना चाहिए। तभी हम समृद्ध भारत, सुसंकृत भारत,एकता में अनेकता वाली उक्तियों को चरितार्थ कर सकते हैं।