शरद कुमार घुटने की चोट के कारण पैरालम्पिक टी42 ऊंची कूद फाइनल से नाम वापिस लेने की सोच रहे थे लेकिन भारत में परिवार से बात करने और स्पर्धा से एक रात पहले भगवद गीता पढने से उन्हें चिंताओं से निजात मिली और उन्होंने कांस्य पदक भी जीता। पटना में जन्में 29 वर्ष के शरद को सोमवार को घुटने में चोट लगी थी। शरद ने टोक्यो पैरालंपिक खेलों में मंगलवार को 1.83 मीटर के प्रयास के साथ ब्रॉन्ज मेडल जीता।
शरद ने कहा, ‘कांस्य पदक जीतकर अच्छा लग रहा है क्योंकि मुझे सोमवार को अभ्यास के दौरान चोट लगी थी। मैं पूरी रात रोता रहा और नाम वापिस लेने की सोच रहा था। मैंने कल रात अपने परिवार से बात की। मेरे पिता ने मुझे भगवद गीता पढने को कहा और यह भी कहा कि जो मैं कर सकता हूं, उस पर ध्यान केंद्रित करूं न कि उस पर जो मेरे वश में नहीं है। मैंने चोट को भुलाकर हर कूद को जंग की तरह लिया। पदक सोने पे सुहागा रहा।’
Our Paralympians continue to make us proud! India is delighted by the success of Mariyappan Thangavelu and Sharad Kumar for winning silver and bronze medals respectively in men’s high jump at #Paralympics. Your resolve and perseverance are an inspiration for all. Congratulations!
— President of India (@rashtrapatibhvn) August 31, 2021
दिल्ली के मॉडर्न स्कूल और किरोड़ीमल कॉलेज से तालीम लेने वाले शरद ने जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी से अंतरराष्ट्रीय संबंधों में मास्टर्स डिग्री ली है। दो वर्ष की उम्र में पोलियो की नकली खुराक दिए जाने से शरद के बाएं पैर में लकवा मार गया था।
#TokyoParalympics | Govt supported me in the journey. PM motivated us. I’ve been training in Ukraine for the last 5 years. Even my coach thought that I’ll be never able to perform such a stunt till the end. But in the end, all went good: Bronze medalist high jumper, Sharad Kumar pic.twitter.com/w91TukW5kA
— ANI (@ANI) August 31, 2021
दो बार एशियाई पैरा खेलों में चैम्पियन और विश्व चैम्पियनशिप के रजत पदक विजेता शरद ने कहा, ‘ बारिश में कूद लगाना काफी मुश्किल था। हम एक ही पैर पर संतुलन बना सकते हैं और दूसरे में स्पाइक्स पहनते हैं। मैं अधिकारियों से बात करने की कोशिश की कि स्पर्धा स्थगित की जानी चाहिए लेकिन अमेरिकी ने दोनों पैरों में स्पाइक्स पहने थे। इसलिये स्पर्धा पूरी कराई गई।’