तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने एक अमेरिकी न्यूज चैनल से शुक्रवार को कहा कि अमेरिका को महिलाओं के अधिकारों को लेकर अपना नजरिया अफगानिस्तान पर नहीं थोपना चाहिए। सुहैल ने कहा कि इसे उनकी ‘संस्कृति’ में हस्तक्षेप माना जाएगा। हिजाब के बिना महिलाओं की शिक्षा का विचार पश्चिमी है और यह अफगानिस्तान में सांस्कृतिक मूल्यों के अनुकूल नहीं है। प्रवक्ता ने साफ किया कि तालिबान इसके पक्ष में नहीं है।
हालांकि, तालिबान के प्रवक्ता ने यह भी कहा कि अफगानिस्तान में महिलाओं के अधिकारों को लेकर तब तक कोई मुद्दा नहीं होगा, जब तक वे हिजाब पहनकर शिक्षा लेंगी या काम करेंगी। केबल मीडिया नेटवर्क फोक्स न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में शाहीन ने कहा, ”महिलाओँ के अधिकार को लेकर कोई मुद्दा नहीं होगा, उनकी शिक्षा या काम से कोई समस्या नहीं, लेकिन हमें एक दूसरे की संस्कृति नहीं बदलनी चाहिए।”
सुहैल ने इंटरव्यू में कहा, ”यह कहना कि महिलाओं को हिजाब के बिना शिक्षा मिले, यह हमारी संस्कृति को बदलना है। हमारी संस्कृति में महिलाएं हिजाब के साथ शिक्षा ले सकती हैं और काम कर सकती हैं। यह एक उदाहरण है, ऐसे कई हो सकते हैं।” तालिबान के प्रवक्ता का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब कट्टरपंथी इस्लामिक समूह अफगानिस्तान में सरकार का गठन करने जा रहा है। तालिबान ने 15 अगस्त को काबुल पर कब्जे के बाद पंजशीर को छोड़कर पूरे देश पर नियंत्रण स्थापित कर लिया था। 30 अगस्त तक अमेरिका ने अपने सभी सैनिकों को वापस बुला लिया।
अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी को देश के इतिहास के एक अध्याय की समाप्ति बताते हुए तालिबान के प्रवक्ता ने कहा, ”हमारे लिए, यह पेशा था, हमने उसे समाप्त कर दिया। हम विरोध कर रहे थे, लेकिन अब यह बंद हो गया है और यह अतीत में है। हमें भविष्य पर ध्यान देना होगा- जो उनके (अमेरिका) और हमारे लिए बेहतर है।”
“We had this destructive relation, a hostile relation, and