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नीतीश राज में अफसरशाही बेलगाम, सांसदों, विधायकों का सम्मान ताक पर

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बिहार——-

पटना: प्रजातंत्र में जनता सर्वोपरि होती है। जनता द्वारा चुने गये जनप्रतिनिधि जनता का प्रतिनिधित्व करते हैं।चाहे वह लोकसभा हो या विधानसभा जनता की बात रखने, जनता की सुख-समृद्धि के लिए काम करते हैं। लोकतंत्र में सरकारी सेवक लोकसेवक कहे जाते हैं। ऐसे में सरकारी सेवकों को जनप्रतिनिधि को आदर और सम्मान देना उनका नैतिक कर्तव्य बनता है।
परन्तु बिहार में आये दिन यह शिकायत वायरल हो रहा है कि सरकारी अधिकारी सांसदों, विधायकों को नजरंदाज करते हैं,उनकी बातों को सुनते नहीं है, यहां तक कि उनको उचित सम्मान तक नहीं देते हैं। सरकारी कार्यक्रमों में या तो उन्हें आमंत्रित नहीं किया जाता या फिर सम्मान जनक स्थान नहीं मिलता। नीतीश राज में यह शिकायत आम है। यह तब है जब सरकार ने इस संबंध में वर्ष 2012 से अब तक चार बार गाइडलाइंस और आदेश भी जारी किया है। इसका कोई असर अफसरों पर नहीं है।
पता चला है कि एकबार फिर बिहार के मुख्य सचिव ने सभी विभागों के प्रधान सचिव से लेकर, डीजीपी, कमिश्नर और डीएम को पत्र लिखकर सांसदों-विधायकों को सभी सरकारी कार्यक्रमों में बुलाने और सम्मान जनक स्थान देने की सख्त हिदायत दी है।
नीतीश सरकार ने स्वीकार किया है कि तमाम आदेशों के बाद भी सरकारी कार्यक्रमों में स्थानीय सांसदों, विधायकों को आमंत्रित नहीं किया जाता है। यदि आमंत्रित किया भी जाता है तो उन्हें सम्मानजनक स्थान नहीं दिया जाता है।इसकी शिकायत लगातार मुख्यमंत्री से किये जाने के बाद एक बार फिर से मुख्य सचिव ने सभी विभागों के प्रधान सचिव से लेकर डीएम तक को पत्र लिखकर सचेत किया है। मुख्य सचिव त्रिपुरारी शरण ने अपने पत्र में कहा है कि राजकीय शिलान्यास तथा उद्घाटन समारोह में सांसदों- विधायकों-विधानपार्षदों को आमंत्रित किया जाये। जन प्रतिनिधि होने के नाते सांसदों-विधायकों का लोकतांत्रिक व्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान है।
सरकार ने वर्ष 2012 में शिष्टतापूर्ण एवं सम्मानजनक व्यवहार करने तथा राजकीय समारोह अथवा बैठकों में सांसद एवं विधायकों के लिए स्थान आरक्षित करने कका पत्र जारी किया गया था। फत्र के साथ विस्तृत मार्गदर्शन भी जारी किया गया था। 2018 और जुलाई 2021 में भी सांसद एवं विधानमंडल सदस्यों के लिए सरकारी कार्य व्यवहार में उचित प्रक्रियाओं का अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया था। फिर भी कई मामलों में इसकी अनदेखी की गई। राजकीय समारोह में स्थानीय सांसद एवं विधायक को आमंत्रित नहीं किया गया।
एकबार फिर से मुख्य सचिव ने इसी संबंध में पत्र जारी कर निर्देश दिया है कि राजकीय समारोह हो, मुख्यमंत्री का कार्यक्रम हो या अन्य किसी महानुभावों का कार्यक्रम हो, स्थानीय सांसद, विधानमंडल के सदस्यों को निश्चित रूप से आमंत्रित किया जाये तथा उन्हें उचित और सम्मानजनक स्थान दिया जाये।
अब देखना है कि इस नये फरमान का कितना अनुपालन हो पाता है।
जे.पी.श्रीवास्तव,
ब्यूरो चीफ, बिहार।