अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जा करने के दो सप्ताह बाद ही तालिबान को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्टैंड बदलता दिख रहा है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद यानी यूएनएससी ने अफगानिस्तान मसले पर अपने लेटेस्ट बयान में आतंकी गतविधियों से तालिबान का नाम हटा दिया है। दरअसल काबुल पर कब्जे के एक दिन बाद यानी 16 अगस्त को यूएनएससी की तरफ से अफगानिस्तान को लेकर एक बयान जारी किया गया था, जिसमें तालिबान से अपील की गई थी कि वह अपने क्षेत्र में आतंकवाद का समर्थन न करे, मगर अब इसी बयान से तालिबान का नाम हटा दिया गया है।
यहां जानना जरूरी है कि इस महीने का अध्यक्ष भारत है, जो पहली बार पूरे सुरक्षा परिषद की पहली बार अध्यक्षता कर रहा है और इस बयान पर भारत के भी हस्ताक्षर हैं। यूएनएससी की ओर से जारी लेटेस्ट बयान में भारत ने 26 अगस्त को काबुल एयरपोर्ट पर हुए आतंकी हमले की निंदा की है। इस आतंकी हमले में करीब 170 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें अमेरिका के 13 जवान भी शामिल थे। इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट खुरासान ने ली थी।
27 अगस्त के बयान में क्या है
काबुल हमले के एक दिन बाद 27 अगस्त को भारत के परमानेंट प्रतिनिधी टीएस तिरुमूर्ति ने बतौर यूएनएससी अध्यक्ष परिषद की ओर से एक बयान जारी किया, जिसमें 16 अगस्त को लिखे गए एक पैराग्राफ को फिर से दोहराया गया। इस बयान वाले पैराग्राफ में लिखा था- ‘सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने अफगानिस्तान में आतंकवाद का मुकाबला करने के महत्व को दोहराया ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि अफगानिस्तान के क्षेत्र का इस्तेमाल किसी भी देश को धमकी देने या हमला करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए और किसी भी अफगान समूह या व्यक्ति को किसी भी देश के क्षेत्र में सक्रिय आतंकवादियों का समर्थन नहीं करना चाहिए।’
In diplomacy…
A fortnight is a long time…
The ‘T’ word is gone…????Compare the marked portions of @UN Security Council statements issued on 16 August & on 27 August… pic.twitter.com/BPZTk23oqX
— Syed Akbaruddin (@AkbaruddinIndia) August 28, 2021
16 अगस्त के बयान में क्या था
यह पैराग्राफ इसलिए भी चौंकाने वाला है, क्योंकि इसमें तालिबान का नाम नहीं है। मगर काबुल पर तालिबान राज होने के बाद 16 अगस्त को यूएनएससी ने जो बयान जारी किया था, उसके पैराग्राफ में तालिबान का नाम था। 16 अगस्त का बयान कहता है, ‘सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने अफगानिस्तान में आंतकवाद का मुकाबला करने के महत्व का जिक्र किया, ताकि यह सुनिश्चित किया जाए कि अफगानिस्तान के क्षेत्र का इस्तेमाल किसी देश को धमकी देने या हमला करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए और न ही तालिबान और न ही किसी अन्य अफगान समूह या व्यक्ति को किसी अन्य देश के क्षेत्र में सक्रिय आतंकवादियों का समर्थन करना चाहिए।
ट्विटर के जरिए भारत के पूर्व स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने सबसे पहले इस बदलाव पर ध्यान दिलाया। अकबरुद्दी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर दोनों बयानों की कॉपी को साझा किया और लिखा- केवल 15 दिनों में ‘T’ शब्द को हटा दिया गया है।’ बता दें कि यूएनएससी की ओर से यह स्टैंड ऐसे वक्त में देखने को मिला है, जब तालिबान ने कथित तौर पर अफगानिस्तान में चल रही निकासी प्रक्रिया में सहायता की, जिससे अन्य देशों के लोगों और अफगानों को देश छोड़ने की अनुमति मिली।