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तालिबान के कब्जे के बाद अफगान-पाक सीमा पर बढ़े हमले, रिपोर्ट में दावा; लापता पाकिस्तानी पत्रकार का भी सुराग नहीं

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अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद पाकिस्तान की खुशी जगजाहिर है। लेकिन बड़ी हैरत की बात है कि तालिबान की जीत के जश्न में चूर पाकिस्तान अपनी सीमा पर बढ़ते हमलों को नजरअंदाज कर रहा है। दरअसल हाल ही में एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हाल के दिनों में पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर पाकिस्तान के सुरक्षा पोस्टों पर हमले अचानक काफी बढ़ गए हैं। पाकिस्तान लगातार यह दावे कर रहा है कि पाक-अफगान सीमा पूरी तरह से सुरक्षित है, लेकिन स्थानीय मीडिया में यह कहा जा रहा है कि सीमा पर अस्थिरता बनी हुई है। 
 
इससे पहले 25 अगस्त को कंधार शहर में तालिबान ने दो पाकिस्तानी पत्रकारों को पकड़ लिया था। उस वक्त तालिबान ने ‘Khyber TV’ के एक रिपोर्टर और कैमरामैन को पकड़ा था। हालांकि, बाद में उन्हें छोड़ दिया गया था। ’92 News Group’ से जुड़े एक पाकिस्तानी पत्रकार अभी भी लापता हैं। पाकिस्तान में पत्रकार यूनियन से जुड़ी संस्था ने पत्रकारों के अपहरण की निंदा की है। 

इधर पेशावर पुलिस ने अवैध अफगानी घुसपैठियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है। यहां तक कि पुलिस ने कुछ अवैध अफगानी घुसपैठियों को पकड़ा भी है। बताया जा रहा है कि इनके पास कोई भी वैध पहचान पत्र नहीं था। बता दें कि पाकिस्तान में जीये सिंध क्वामी महज़ (JSQM) ने 5 सितंबर से पूरे सिंध प्रक्षेत्र में प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। JSQM अफगानी घुसपैठियों को प्रक्षेत्र में पनाह देने के विरोध में यह प्रदर्शन करेगी। 

बहरहाल आपको बता दें कि तालिबान ने अफगानिस्तान में नई सरकार के गठन को अगले सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया है। तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्ला मुजाहिद ने शनिवार को यह जानकारी दी। तालिबान एक ऐसी सरकार बनाने के लिये संघर्ष कर रहा है जो समावेशी और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को स्वीकार्य हो।
उम्मीद की जा रही थी कि तालिबान शनिवार को काबुल में नयी सरकार के गठन की घोषणा करेगा, जिसका नेतृत्व संगठन के सह-संस्थापक मुल्ला अब्दुल गनी बरादर कर सकते हैं।

तालिबान ने 15 अगस्त को काबुल पर काबिज होने के बाद दूसरी बार, काबुल में नयी सरकार के गठन की घोषणा स्थगित की है। मुजाहिद ने कहा, ”नयी सरकार और कैबिनेट सदस्यों के बारे में घोषणा अब अगले सप्ताह की जाएगी।”

सरकार गठन को लेकर विभिन्न समूहों के साथ बातचीत के लिए तालिबान द्वारा गठित एक समिति के सदस्य खलील हक्कानी ने कहा कि काबुल में दुनिया को स्वीकार्य समावेशी सरकार बनाने का तालिबान के वादे के कारण देर हो रही है। उन्होंने कहा, ”तालिबान अपनी अकेले की सरकार बना सकता है, लेकिन अब वे एक ऐसा प्रशासन बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं जिसमें सभी दलों, समूहों और समाज के वर्गों का उचित प्रतिनिधित्व हो।”

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