मशहूर गीतकार जावेद अख्तर की ओर से तालिबान को लेकर की गई टिप्पणी का कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह ने बचाव किया है। दिग्विजय सिंह ने मंगलवार को कहा, ‘मै नहीं जानता हूं कि उन्होंने किस संदर्भ में यह बात कही है। लेकिन हमारे संविधान में सभी को अपनी बात कहने का हक है।’ जावेद अख्तर ने इससे पहले तालिबान की तुलना राष्ट्रीय स्वयं सेवक से की थी।
बीते 3 सितंबर को जावेद अख्तर ने कहा कि जिस तरह तालिबान इस्लामिक स्टेट चाहता है उसी तरह वो लोग हिंदू राष्ट्र चाहते हैं। ये लोग उसी मानसिकता के हैं। जावेद अख्तर ने आगे कहा कि नि:सन्देह तालिबान क्रूर है और उनका कार्रवाई निंदा के लायक है, लेकिन जो लोग आरएसएस, वीएचपी और बजरंग दल को सपोर्ट कर रहे हैं वो भी वही हैं। जावेद अख्तर ने यह भी कहा कि उन्हें एवरेज भारतीयों के बेसिक समझ पर पूरा विश्वास है। इस देश का अधिकांश हिस्सा अत्यंत सभ्य और सहिष्णु है। इसका सम्मान किया जाना चाहिए। भारत कभी तालिबानी देश नहीं बनेगा।
भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता राम कदम ने आरएसएस पर अपनी टिप्पणियों के लिए अख्तर की आलोचना की और इस तरह की तुलना करने के लिए माफी मांगने की मांग की। कदम ने चेतावनी दी कि अगर अख्तर ने आरएसएस से माफी नहीं मांगी तो उनकी फिल्में नहीं चलने दी जाएंगी। उन्होंने आगे कहा कि हम उनकी किसी भी फिल्म को मां भारती की इस धरती पर तब तक नहीं चलने देंगे, जब तक कि वह संघ के उन पदाधिकारियों से हाथ जोड़कर माफी नहीं मांगते, जिन्होंने राष्ट्र को अपना जीवन समर्पित कर दिया है।
वहीं, शिवसेना ने अख्तर की टिप्पणियों के खिलाफ आरएसएस का बचाव किया था और बाद में पार्टी के मुखपत्र सामना में प्रकाशित एक संपादकीय में ‘हिंदू संस्कृति का अनादर’ करने का आरोप लगाया था। दिग्विजय सिंह, जिनकी पार्टी ने शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ महाराष्ट्र में सरकार बनाई है, ने व्यंग्यकार संपत सरल के शब्दों का हवाला देते हुए कहा कि व्यंग्यवादी संपत सरल ने एक बार तालिबान को परिभाषित किया था और एक समीकरण दिया था कि राजनीति प्लस धर्म तालिबान के बराबर है।