महराजगंज। राजस्व गांवों तक रोडवेज बस सेवा देने के प्रदेश सरकार के फैसले की लोगों ने सराहना की है। लोगों का कहना है कि अब तक तो कस्बों तक भी ठीक से रोडवेज बस की सेवा नहीं मिल पा रही है। मुख्यमंत्री के आदेश के बाद उम्मीद है कि इस हाल में सुधार होगा। जिले में ज्यादातर मार्ग ऐसे हैं, जहां से बस सेवा लोगों को नहीं मिलती है। भारत-नेपाल सीमा से लगे महराजगंज जनपद में आवागमन का प्रमुख साधन बस सेवा ही है। लेकिन इसकी बदहाली के कारण लोग निजी साधनों से यात्रा करने के लिए मजबूर हैं। ज्यादा किराया देते हैं और जान भी जोखिम में डालते हैं। लंबी दूरी की यात्रा करने में उन्हें कई बार साधन बदलना पड़ता है। कई रूट तो ऐसे हैं, जहां प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोग आवागमन करते हैं। इसके बाद भी उस रूट पर रोडवेज की बस नहीं चलती। कुछ रूट ऐसे हैं, जहां पूर्व में बस सेवा तो शुरू हुई, लेकिन कुछ ही दिनों बाद उसे बंद कर दिया गया। हालांकि सीएम ने इस समस्या को संज्ञान लिया है। जिसके बाद लोगों में सफर आसान होने की उम्मीद जगी है। दो साल से ईटहिया शिव मंदिर से गोरखपुर एवं नेपाल सीमा से लगे गांव झुलनीपुर से गोरखपुर जाने वाली बस संचालित नहीं हो रही है। इतना समय बीतने के बाद भी जनता की समस्या का समाधान नहीं हो रहा है। क्षेत्र के लोगों को डग्गामार वाहनों पर पीछे लटककर यात्रा करनी पड़ती है। ग्रामीणों को अन्य जगहों पर जाने के लिए बॉर्डर से करीब 15 किलोमीटर दूर निचलौल शहर जाना पड़ता है। ज्यादा किराया देकर यात्रा करने को लोग मजबूर
निचलौल क्षेत्र के केशव ने कहा कि इटहिया परिसर से जमुई, निचलौल, बरोहिया, मिठौरा, सिंदुरिया, महराजगंज होते हुए गोरखपुर जाने वाली रोडवेज बस का संचालन बंद होने से लोग निजी वाहनों को ज्यादा किराया देकर यात्रा करने को मजबूर हैं। रोडवेज बस से गोरखपुर तक 110 रुपये किराया लगता था। टैक्सी एवं निजी बस से गोरखपुर जाने में अब 125 से 130 रुपये खर्च करने पड़ते हैं।
मार्च 2021 में शुरू हुई थी ईटहिया से बस सेवा
मार्च 2021 में इटहिया से निचलौल, महराजगंज, गोरखपुर रोडवेज बस सेवा सिसवा के विधायक प्रेम सागर ने शुरू कराया था। यह बस सुबह सात बजे गोरखपुर रवाना होती थी। गोरखपुर से वापसी में रात 10 बजे इटहिया पहुंचती थी। इस बस से झुलनीपुर, रेंगहिया, शितलापुर, इटहिया, डिगही, जमुई, पिपरा सहित दर्जनों गांव के लोगों को फायदा हो रहा था।
70,000 लोगों को होती है परेशानी
बहुआर गांव के संजय, राधेश्याम ने बताया कि झुलनीपुर से गोरखपुर तक रोडवेज बस का संचालन नहीं होने से झुलनीपुर, सेमरहना, बहुआर खुर्द, बहुआर कला, कनमिसवां, गेडहवां, बैठवलिया, मिश्रवलिया, शितलापुर, गिरहिया, ढेसो, डोमा, बढ़या सहित अन्य गांवों के करीब 70,000 आबादी को समस्या है। लोगों को गोरखपुर तक यात्रा करने के लिए दुश्वरियां झेलते हुए करीब 150 रुपये खर्च करने पड़ते हैं। छोटे वाहनों से तय करना पड़ता सफर
शितलापुर खेसरहा निवासी वकील अहमद, राजेश ने बताया कि भारत-नेपाल सीमा से सटे सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों को जिला मुख्यालय और गोरखपुर जाने के लिए पहले छोटे वाहनों से करीब 15 किलोमीटर दूर निचलौल बस स्टेशन जाना पड़ता है। इसके बाद निजी बसों एवं अन्य वाहनों की सवारी कर यात्रा तय करनी पड़ती है। सबसे अधिक परेशानी लौटने के दौरान होती है। देर शाम होने पर लोगों को सीमावर्ती क्षेत्रों के गांवों तक जाने के लिए कोई वाहन सुविधा नहीं मिल पाती है। सीधी बस सेवा नहीं होने से बढ़ी परेशानी।
नौतनवां कस्बे से जिला मुख्यालय के लिए सीधी बस सेवा नहीं है। नौतनवां क्षेत्र के महराजगंज पहुंचने के लिए फरेंदा तक बस मिलती है, इसके बाद टेंपो का सहारा लेना पड़ता है। लोगों को ज्यादा किराया खर्च करने के साथ ही वक्त भी लगता है। फरेंदा तक जाने में 60 रुपया किराया लगता है। यहां से 50 रुपये किराया खर्च कर टेंपो से महराजगंज जाना पड़ता है। कभी वाहन का इंतजार करने में घंटों गुजर जाते हैं। प्रत्येक दिन जरूरी काम से तमाम लोग आते जाते हैं। खासकर कचहरी में तारीख देने के लिए लोग सुबह ही चल देते हैं। फरेंदा में टेंपो टैक्सी मिलने में देर हो गई तो समस्या हो जाती है।
60 किलोमीटर जिला मुख्यालय की दूरी, तीन बार बदलते हैं वाहन।
गांगी बाजार गोरखपुर जनपद से लगा कस्बा है। जिला मुख्यालय की दूरी 50 किलोमीटर है। यहां महराजगंज से सीधी बस सेवा वर्ष 2018 तक संचालित रही, इसके बाद घाटे में दिखाकर बंद कर दी गई। अब गांगी से महराजगंज तक पहुंचने में करीब 90 रुपये खर्च हो जाते हैं। तीन बार सवारी के बदलने के बाद लोग डग्गामार वाहन से जान जोखिम में डालकर जिला मुख्यालय तक पहुंचते हैं। इस समस्या से करीब 60,000 की आबादी प्रभावित हो रही है।
फरेंदा में नहीं बन सका बस स्टेशन
जनपद के चार तहसील मुख्यालयों में फरेंदा एवं नौतनवां में अब तक रोडवेज स्टेशन नहीं हैं। ऐसे में अगर बस जाती है तो वह सड़क पर खड़ी रहती है। यात्रियों को धूप में खड़े होकर बस का इंतजार करना पड़ता है। अभी तक न तो प्रशासन ने ध्यान दिया और न ही जनप्रतिनिधियों ने। लोगों का कहना है कि कम से कम तहसील मुख्यालयों पर तो बस अड्डा होना ही चाहिए। माह में एक से दो ही मिलती है बस
घुघली क्षेत्र के खुशहाल नगर से जखिरा होकर महराजगंज आने वाली बस महीने में महज एक से दो दिन ही चलती है। क्षेत्र के घनश्याम ने बताया कि बस नियमित नहीं चलने से ज्यादा किराया खर्च करना पड़ता है।
10 साल से बांसपार मिश्र से महराजगंज मार्ग पर नहीं चलती बस
करीब 10 साल हो चुके हैं, लेकिन बांसपार मिश्र से महराजगंज जिला मुख्यालय के लिए रोडवेज बस संचालित नहीं हो सकी। बीच में कभी कभार ज्यादा हो हल्ला होने पर बस शुरू हुई थी, फिर बंद हो गई। क्षेत्र के लोगों ने बताया कि बस नहीं चलने से आने जाने में समस्या होती है।
सप्ताह में चार दिन ही चलती है बस
सिसवा कस्बे से महराजगंज होकर गोरखपुर जाने वाली बस परिचालक के अभाव में सप्ताह में महज चार दिन ही चलती है। बस को नियमित संचालित कराने की मांग लोगों ने कई बार की, लेकिन किसी से समस्या पर ध्यान नहीं
महराजगंज से चलती हैं इतनी बसें
जिला मुख्यालय के रोडवेज के बेड़े में 51 बसें हैं। इसमें दिल्ली, लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर सहित अन्य रूट पर नियमित बसें चलती हैं। सोनौली डिपो में 60 बसें संचालित हैं। गोरखपुर, दिल्ली, वाराणसी, लखनऊ, ठूठीबारी, जयपुर आदि बड़े शहरों में बस जाती है।
जिले के जिन मार्गों पर बस चलाने की मांग की जा रही है, वहां सर्वे कराने के बाद बस संचालित की जाएगी। ज्यादातर मार्गों पर बस सेवा शुरू है। सर्वे रिपोर्ट आने के बाद जरूरत के अनुसार सेवा शुरू कर दी जाएगी।
– सर्वजीत वर्मा, सहायक क्षेत्रीय प्रबधंक, महराजगंज डिपो