आचार्य धर्मेंद्र के निधन को सामाजिक, धार्मिक एवं जीवन मूल्यों की अपूर्णीय क्षति- विश्व हिंदू परिषद
अयोध्या। (19सितंबर) विश्व हिंदू परिषद ने पंचखंड पीठाधीश्वर विहिप केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल के वरिष्ठ सदस्य आचार्य धर्मेंद्र के निधन को सामाजिक, धार्मिक एवं जीवन मूल्यों की अपूर्णीय क्षति बताया और कहा बेबाकी और ओजस्वी वक्तव्यों के कारण मंदिर आंदोलन को व्यापक गति प्राप्त हुई। ज्ञातव्य हो 1990 के दशक में आचार्य धर्मेंद्र को सभाओं और भाषणों से व्यापक पहचान मिली। सोमवार को जयपुर के एसएमएस अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद 80 साल की आयु में निधन हो गया।
आचार्य धर्मेंद्र के निधन पर विहिप के वरिष्ट नेता और केंद्रीय प्रबंध समिति के वरिष्ठ सदस्य पुरुषोंत्तम नारायण सिंह ने दुख जताते हुए कहा कि आचार्य ने श्रीराम मंदिर आंदोलन में सक्रिय रहकर अपना अहम योगदान दिया था। वे राममंदिर मुद्दे पर बड़ी ही बेबाकी से बोलते थे।आचार्य धर्मेंद्र विश्व हिंदू परिषद से लंबे समय तक जुड़े थे, इस दौरान वे काफी चर्चा में रहे थे। आचार्य का जन्म 9 जनवरी 1942 को गुजरात के मालवाडा में हुआ।आज वह इस लोक से चले गए परंतु उनका बेबाक व्यक्तित्व सदा जीवंत रहेगा।
विहिप मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने कहा महाराज श्री का स्नेह सदा समय-समय पर प्राप्त होता रहा है। लिखने पढ़ने के कारण उनका फोन भिन्न भिन्न विषयों पर आ जाता था। उनका निधन सामाजिक धार्मिक जीवन मूल्यों की अपूर्णीय क्षति है।
मणिराम दास छावनी के उत्तराधिकारी महंत कमल नयन दास ने स्मरण करते हुये कहा पूज्य गुरुदेव के जन्मोत्सव पर 2018/19 मेंउनका आगमन अयोध्या जी में लंबे कालखंड के बाद हुआ था। उनका विचार आक्रामक और तथ्यों से परिपूर्ण रहता था। बेखौफ और समर्पण के कारण ही वह आज भी स्मरणीय हैं। उनका साकेतवास अत्यंत दुखद है।
महंत कौशल किशोर दास महाराज ने कहा आचार्य जी सदैव अयोध्या सहित देश भर में मंदिर आंदोलन को गति देने के लिये तैयार हो जाते थे। मंचों पर उनकी उपस्थिति से सभा ओजस्वी हो जाती थी। आचार्य के परलोक गमन से आज समस्त समाज की बड़ी क्षति हुई है।